नमस्कार CTET Aspirants,
हम अपनी CTET की जर्नी शुरू कर चुके हैं, और CDP (बाल विकास एवं शिक्षण शास्त्र) में सबसे पहला और सबसे महत्वपूर्ण नाम है – जीन पियाजे (Jean Piaget)। अगर आप इस थ्योरी को समझ गए, तो CDP का एक बड़ा हिस्सा आपके लिए बहुत आसान हो जाएगा।
यह थ्योरी CTET में हर बार 3 से 5 मार्क्स कवर करती है। तो आइए, पियाजे की थ्योरी को रटने के बजाय, समझते हैं।
1. पियाजे कौन थे और उनकी सोच क्या थी?
जीन पियाजे एक स्विस मनोवैज्ञानिक थे। उन्होंने कहा था कि बच्चे ज्ञान को सिर्फ लेते नहीं हैं, बल्कि वे सक्रिय रूप से अपने ज्ञान का निर्माण करते हैं, ठीक वैसे ही जैसे छोटे वैज्ञानिक (Little Scientists)।
उनका मुख्य विचार था कि बच्चे अपने वातावरण के साथ बातचीत करके सीखते हैं और यह सीखने की प्रक्रिया चार क्रमिक अवस्थाओं में होती है।
2. पियाजे के 3 मूलभूत शब्द (The Core Concepts)
किसी भी प्रश्न को हल करने से पहले, इन तीन शब्दों को समझ लें:
| Concept | हिंदी अर्थ | उदाहरण (Example) |
| स्कीमा (Schema) | मस्तिष्क में ज्ञान का फोल्डर | बच्चे ने पहली बार 'बंदर' देखा, तो दिमाग में 'बंदर' का एक फोल्डर बन गया। |
| आत्मसातीकरण (Assimilation) | नई जानकारी को पुराने स्कीमा में जोड़ना | बच्चे ने बाद में एक लंगूर देखा और उसे भी 'बंदर' कह दिया। |
| समायोजन (Accommodation) | स्कीमा को बदलना या नया स्कीमा बनाना | जब पता चला कि वह लंगूर है, तो बच्चे ने अपने 'बंदर' वाले स्कीमा को एडजस्ट करके 'लंगूर' का नया स्कीमा बना लिया। |
3. संज्ञानात्मक विकास की 4 अवस्थाएँ (The 4 Stages)
पियाजे के अनुसार, संज्ञानात्मक विकास की ये अवस्थाएँ क्रमिक (Sequential) होती हैं और इनकी उम्र सीमा लगभग तय होती है।
| अवस्था (Stage) | उम्र सीमा | प्रमुख अवधारणाएँ (Concepts) |
| संवेदी पेशीय (Sensorimotor) | जन्म – 2 वर्ष | वस्तु स्थायित्व (Object Permanence): चीज़ें आँखों से ओझल होने पर भी मौजूद रहती हैं। |
| पूर्व-संक्रियात्मक (Pre-Operational) | 2 – 7 वर्ष | जीवात्मावाद (Animism): निर्जीव चीज़ों को जीवित समझना। अहम-केन्द्रितता (Egocentrism): सिर्फ अपने नज़रिए से दुनिया को देखना। |
| मूर्त संक्रियात्मक (Concrete Operational) | 7 – 11 वर्ष | संरक्षण (Conservation): चीज़ों के रूप बदलने पर भी मात्रा वही रहती है। पलटावी गुण (Reversibility): चीज़ों को उल्टे क्रम में समझना। |
| अमूर्त संक्रियात्मक (Formal Operational) | 11 वर्ष से ऊपर | अमूर्त चिंतन (Abstract Thinking): हाइपोथेटिकल समस्याओं को हल करना। |
निष्कर्ष
जीन पियाजे की थ्योरी से आप यह समझ सकते हैं कि आपको बच्चे को सिखाना कैसे है। कक्षा में बच्चे को खुद ज्ञान का निर्माण करने का अवसर दें।
अगला कदम: अपनी अगली क्लास में हम वायगोत्स्की की थ्योरी को समझेंगे।
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