📚 पाठ का नाम: परीक्षा
👨🏫 लेखक: मुंशी प्रेमचंद
📘 कक्षा: 6 (NCERT)
📖 पुस्तक: मल्हार
📝 पाठ का सारांश:
पाठ “परीक्षा” में प्रेमचंद जी ने यह बताया है कि किसी भी पद के लिए केवल डिग्री या दिखावा नहीं, बल्कि सच्चा चरित्र, दया, और कर्तव्यनिष्ठा होना सबसे ज़रूरी है।
देवगढ़ रियासत के बुजुर्ग दीवान सरदार सुजानसिंह अब सेवा से निवृत्त होना चाहते हैं। राजा उन्हें नया दीवान चुनने की ज़िम्मेदारी सौंपते हैं। विज्ञापन निकलता है – जिसमें कहा जाता है कि डिग्री ज़रूरी नहीं, परंतु कर्तव्यनिष्ठ, स्वस्थ और दयालु व्यक्ति होना आवश्यक है।
सैकड़ों उम्मीदवार आते हैं और एक महीने तक अपने आचरण को बेहतर दिखाने का प्रयास करते हैं, परंतु सब दिखावा होता है।
एक दिन एक किसान की गाड़ी कीचड़ में फँस जाती है। सब उम्मीदवार उसे अनदेखा कर देते हैं, लेकिन एक युवक — जानकीनाथ — जिसकी टांग में चोट थी, साहस और दया दिखाते हुए किसान की मदद करता है।
अंत में पता चलता है कि वह किसान असल में दीवान सुजानसिंह ही थे, जो गुप्त रूप से सभी की परीक्षा ले रहे थे। राजा दरबार में घोषणा करते हैं कि जानकीनाथ ही नया दीवान बनेगा।
🌟 मुख्य संदेश:
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केवल डिग्री नहीं, आचरण और मानवीय मूल्य ही सच्ची योग्यता हैं।
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कठिन परिस्थिति में दया, साहस और कर्तव्य की भावना ही व्यक्ति को महान बनाती है।
✍️ लेखक परिचय:
मुंशी प्रेमचंद हिंदी साहित्य के महान कथाकार माने जाते हैं। उनकी कहानियाँ समाज के यथार्थ को दर्शाते हुए पाठकों को नैतिकता, ईमानदारी और सच्चाई की शिक्षा देती हैं।
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