कक्षा - 4
विषय: हिंदी
पुस्तक का नाम: अनुभूति
पाठ संख्या: 13
पाठ का नाम - कौन खाता है सूरज को
सूरज की रोशनी हम सभी के लिए आवश्यक है। किसी-किसी दिन सूरज को ग्रहण लग जाता है। उसे ग्रहण कैसे लगता है. आइए पाठ पढ़कर जानें। आखिर कभी-कभी सूरज को क्या हो जाता है? कुछ देर के लिए वह नजर आना बंद क्यों हो जाता है? थोड़ा-थोड़ा करके आखिर सूरज को कौन खा जाता है? जानते हैं इसे क्या कहते हैं? इसे कहते हैं- सूर्यग्रहण। क्या आपको पता है कि सूरज को ग्रहण कैसे लगता है? जब चाँद पृथ्वी और सूरज के बीच में आ जाता है, तब सूर्यग्रहण होता है। उस समय जब हम धरती से सूरज को देखते हैं, तो चाँद रुकावट बनकर बीच में आ जाता है, इसे ही सूर्यग्रहण कहते हैं। सूर्यग्रहण आशिक और पूर्ण दोनों रूपों में होता है। सूर्यग्रहण के समय जब सूरज थोड़ा-सा अदृश्य होता है तो इसे आशिक सूर्यग्रहण कहते हैं। जब धीरे-धीरे पूरा सूरज नजर आना बंद हो जाता है, तो इसे पूर्ण सूर्यग्रहण कहते हैं। संक्षेप में यह कहा जा सकता है कि सूर्यग्रहण तब होता है जब चाँद अपनी धुरी पर धरती की परिक्रमा करते हुए सूरज और धरती के बीच में आ जाता है। सूर्यग्रहण अधिक से अधिक 7.5 मिनट का होता है। थोड़ी देर में फिर से पूरा सूरज नजर आने लगता है। सूर्यग्रहण कुछ मिनटों के लिए जबकि चंद्रग्रहण एक या दो घंटे के लिए भी हो सकता है। सूर्यग्रहण औसतन वर्ष में एक या दो बार और अधिकतम पाँच बार हो सकता है। यह एक रिकार्ड है कि सन 1805 और 1935 में यह पाँच बार हुआ था। पूरे विश्व के लिए सूर्यग्रहण एक महत्वपूर्ण घटना होती है। आज के आधुनिक समय में अखबार, टीवी तथा इंटरनेट द्वारा सूर्यग्रहण की पूर्व सूचना मिल जाती है। प्राचीन काल में लोग सूर्यग्रहण के तथ्य से अपरिचित थे। उस समय अलग-अलग देशों में सूर्यग्रहण के बारे में अलग-अलग मान्यताएँ प्रचलित थीं।
प्राचीन समय में हमारे देश में लोग समझते थे कि राहु और केतु नामक दो राक्षस सूरज को खा लेते हैं। लोग सूरज को उन राक्षसों से छुड़ाने के लिए बहुत पूजा-पाठ तथा व्रत उपासना किया करते थे। आज भी सूर्यग्रहण पर नदी में स्नान करने की यह परंपरा जारी है। जापान के लोगों का मानना था कि सूर्यग्रहण के दौरान आसमान से विष की वर्षा होती है, इसलिए वे उस समय अपने सभी कुँओं को ढंक देते थे। एस्कीमो सूर्यग्रहण को एक शुभ संकेत के रूप में मानते थे। उनके अनुसार सूर्यग्रहण के दौरान सूरज धरती पर लोगों की खुशहाली देखने आता है। चीनी भाषा में ग्रहण को 'चीह' कहा जाता है जिसका अर्थ 'खाना' होता है। चीन के लोगों की मान्यता थी कि एक अदृश्य राक्षस सूरज को खा जाता है। उन्होंने उस राक्षस को भगाने का एक तरीका भी निकाला था। उसे डराने के लिए वे जोर-जोर से ड्रम बजाकर आवाज किया करते थे तथा ऊपर आसमान की ओर तीर चलाया करते थे। एक बार वहाँ के दो ज्योतिषी सूर्यग्रहण की ठीक से गणना नहीं कर पाए, जिसके कारण वहाँ के राजा ने क्रोधित होकर उन्हें दंड दे दिया था। एक बार 585 ई. में सूर्यग्रहण से डरकर लाइडियंस और मेडेस की सेनाओं ने पाँच साल से चल रहे युद्ध को बंद कर दिया था। इस प्रकार उस समय सूर्यग्रहण शुभ थी कि एक अदृश्य राक्षस सूरज को खा जाता है। उन्होंने उस राक्षस को भगाने का एक तरीका भी निकाला था। उसे डराने के लिए वे जोर-जोर से ड्रम बजाकर आवाज किया करते थे तथा ऊपर आसमान की ओर तीर चलाया करते थे। एक बार वहाँ के दो ज्योतिषी सूर्यग्रहण की ठीक से गणना नहीं कर पाए, जिसके कारण वहाँ के राजा ने क्रोधित होकर उन्हें दंड दे दिया था। एक बार 585 ई. में सूर्यग्रहण से डरकर लाइडियंस और मेडेस की सेनाओं ने पाँच साल से चल रहे युद्ध को बंद कर दिया था। इस प्रकार उस समय सूर्यग्रहण शुभ सिद्ध हुआ था। सूर्यग्रहण के समय सूर्य को कभी सीधी आँखों से नहीं देखना चाहिए। इसे देखने के लिए पिनहोल कैमरे का उपयोग करना चाहिए। यदि ऐसा संभव न हो तो उस समय हमें घर पर ही रहना चाहिए। सूर्यग्रहण के कारण धरती पर सूर्य की तेज तथा दुष्प्रभावी किरणें पड़ती हैं। जल में अत्यधिक ऑक्सीजन होती है. जो सूर्य की दुष्प्रभावी किरणों से बचाती है। इसलिए सूर्यग्रहण के समय लोग किसी नदी या सरोवर में खड़े हो जाते हैं।
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