विषय : हिंदी
कक्षा : 6
पाठ्यपुस्तक : मल्हार (NCERT)
पाठ- 9: मैया मैं नहिं माखन खायो
NCERT Class 6 Malhaar ( Hindi Book ) 2025 edition
कक्षा 6 हिंदी मल्हार | पाठ 9: मैया मैं नहिं माखन खायो
लेखक: सूरदास
पुस्तक: हिंदी मल्हार – कक्षा 6
🧾 मूल पाठ (Original Text):
मैया मैं नहिं माखन खायो।
भोर भयो गैयन के पाछे, मधुबन मोहि पठायो।
चार पहर बंसीवट भटक्यो, साँझ परे घर आयो।।
मैं बालक बहियन को छोटो, छीको केहि बिधि पायो।
ग्वाल-बाल सब बैर परे हैं, बरबस मुख लपटायो।।
तू माता मन की अति भोरी, इनके कहे पतियायो।
जिय तेरे कछु भेद उपजि हैं, जानि परायो जायो।।
ये ले अपनी लकुटि कमरिया, बहुतहिं नाच नचायो।
सूरदास तब बिहँसि जसोदा, लै उर कंठ लगायो।।
📚 भावार्थ:
इस पद में भगवान श्रीकृष्ण अपनी माता यशोदा से माखन न खाने की सफाई दे रहे हैं। वे कहते हैं कि वे तो सुबह से गायों को चराने मधुबन गए थे और दिनभर वहाँ भटकते रहे। जब साँझ हुई, तब घर लौटे।
वे स्वयं को छोटा बच्चा बताते हुए कहते हैं कि उनकी बाँहें छोटी हैं, वे माखन रखने की ऊँचाई तक पहुँच ही नहीं सकते।
ग्वालबालों ने उन पर झूठा दोष लगा दिया है। माँ को सरल और जल्दी मान लेने वाली बताते हुए वे कहते हैं कि माँ को इनकी बातों में आकर मुझ पर विश्वास नहीं हुआ। अंत में, माँ यशोदा मुस्कराकर कृष्ण को गले लगा लेती हैं।
यह पद मातृ-पुत्र प्रेम, भक्ति रस और बाल-कृष्ण की लीलाओं का अद्भुत चित्रण है।
🧑🎨 लेखक परिचय – सूरदास:
सूरदास हिन्दी साहित्य के भक्ति काल के महान कवि थे। वे श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं के अद्वितीय चित्रकार थे।
उनका संबंध वल्लभाचार्य के पुष्टिमार्ग से था।
उनकी भाषा ब्रजभाषा है और उनकी रचनाओं में वात्सल्य रस और भक्तिभाव प्रमुखता से दिखाई देता है।
उनका प्रमुख ग्रंथ है – सूरसागर।
📝 मुख्य शब्दार्थ:
ब्रजभाषा शब्द | सरल हिंदी अर्थ |
---|---|
गैयन | गायें |
मधुबन | वन का नाम |
बंसीवट | वृंदावन का क्षेत्र |
लकुटि | लाठी |
कमरिया | कंबल |
छीको | मटकी रखने की जगह |
लपटायो | आरोप लगा दिया |
❓ पाठ आधारित प्रश्नोत्तर:
प्रश्न 1: कृष्ण ने माखन न खाने का क्या कारण बताया?
उत्तर: उन्होंने कहा कि वे सुबह से गाएँ चराने मधुबन गए थे और दिनभर वहीं थे।
प्रश्न 2: कृष्ण ने खुद को निर्दोष क्यों बताया?
उत्तर: उन्होंने कहा कि वे छोटे हैं, उनकी बाँहें छोटी हैं, वे छीके तक नहीं पहुँच सकते।
प्रश्न 3: ग्वालबालों ने क्या किया?
उत्तर: ग्वालबालों ने कृष्ण पर माखन चोरी का झूठा आरोप लगाया।
प्रश्न 4: यशोदा माँ ने अंत में क्या किया?
उत्तर: माँ यशोदा मुस्कराकर कृष्ण को गले से लगा लेती हैं।
🎯 इस पद से मिलने वाली शिक्षाएँ:
-
मातृ-पुत्र प्रेम की सुंदर अभिव्यक्ति
-
भक्त और भगवान के संबंध का भावपूर्ण चित्रण
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भाषा सौंदर्य, ब्रजभाषा का मधुर स्वरूप
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सूरदास की सरल लेकिन भाव-प्रधान रचना शैली
📌 निष्कर्ष:
"मैया मैं नहिं माखन खायो" पाठ न केवल विद्यार्थियों के लिए भाषा और भावों का अभ्यास है, बल्कि वह उन्हें भक्ति, प्रेम और संस्कृति से भी जोड़ता है। सूरदास का यह पद भारतीय साहित्य की अमूल्य धरोहर है।
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