संवाद लेखन - दीवाली पर पटाखों के बारे में दो मित्रों में संवाद
समीर- अरे विनय, इस बार दीवाली पर खूब सारे पटाखे फोड़ेंगे। क्या तुमने पटाखे खरीद लिए?
विनय- नहीं, हमारी मैडम कहती हैं कि पटाखे जलाने से प्रदूषण फैलता है।
समीर - पर पटाखों के बिना दीवाली का क्या मजा आएगा?
विनय - समीर, पटाखे चलाने से निकलने वाला धुआँ हमारे स्वास्थ्य को बहुत नुकसान पहुँचाता है।
समीर- वैसे मेरी अध्यापिकाजी भी कह रही थी कि पटाखे छोटे-छोटे बच्चों से बनवाते हैं।
विनय - हाँ, इसी को तो 'बाल मजदूरी' कहते हैं।
समीर - मेरे दादाजी भी कह रहे थे कि पटाखों का धुआँ और शोर उन्हें अच्छा नहीं लगता। इससे उनकी साँस की परेशानी भी बढ़ जाती है।
विनय समीर जब तू सब जानता है तो उनकी बात मानता क्यों नहीं?
समीर - ठीक है. इस साल मैं भी दीवाली पर पटाखे नहीं चलाऊँगा।
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