कक्षा - 3
विषय: हिंदी
पुस्तक का नाम: अनुभूति
पाठ संख्या: 12
पाठ का नाम - चंद्र-ग्रहण
चंदा चम-चम चमक रहा था,
एक
रात थी बड़ी सुहानी।
स्वच्छ
चाँदनी बिखर-बिखरकर,
धरती
पर करती शैतानी।
देख-देख उज्ज्वल चंदा मैं,
मन
ही मन खुश होता
था।
सूर्य-प्रकाश से चंदा चमके,
यही
ताज्जुब होता था।
एकाएक
हुआ कुछ ऐसा,
कुछ
भाग हुआ उसका ओझल
धीरे-धीरे पूरा ढक गया,
जैसे
छाएँ हो बादल।
मैंने
पूछा दादी जी से,
क्यों
हुए चंदा -मामा।
किसने
इनको छुपा दिया,
यह
भेद नहीं मैंने जाना।
दादी
बोली, पृथ्वी की छाया,
जब
चाँद पर पड़ती है।
तब
होता है चंद्रग्रहण, और
रात अँधेरी लगती है।
कुछ
देर रुको मेरे बच्चे,
चंदा
फिर बाहर आएगा।
फिर
फैलेगी स्वच्छ चाँदनी,
जब
चंद्रग्रहण हट जाएगा।
- कल्पना
शर्मा
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