हिंदी कविता - काली कोयल (सुभद्रा कुमारी चौहान)
देखो कोयल काली है पर
मीठी है इसकी बोली
इस ने ही तो कुकू कुकूकर
आमों में मिश्री घोली
कोयल कोयल सच बतलाओ
क्या संदेशा लाई हो।
बहुत दिनों के बाद आज फिर
इस डाली पर आई हो।
क्या गाती हो किसे बुलाती
बतला दो कोयल रानी
प्यासी धरती देख मांगती
हो क्या मेघों से पानी?
कोयल यह मिठास क्या तुमने
अपनी मां से पाई है
मां ने ही क्या तुमको मीठी
बोली यह सिखलाई है?
डाल डाल पर उड़ना गाना
जिसने तुम्हें सिखाया है
सबसे मीठे मीठे बोलो
यह भी तुम्हें बताया है।
बहुत भली हो तुमने मां की
बात सदा ही है मानी
इसीलिए तो तुम कहलाती
हो सब चिड़ियों की रानी।
सुभद्रा कुमारी चौहान
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