कक्षा - 3
विषय: हिंदी
पुस्तक का नाम: अनुभूति
पाठ संख्या: 10
पाठ का नाम - जब स्वाति ने रचना लिखी
जब हम किसी के बारे में लिखते हैं तो वह रचना होती है। स्वाति को भी एक रचना लिखनी है. पर वह कैसे लिखे? आओ पड़कर जानें-
स्वाति स्कूल से लौटी तो उसकी आँखें आँसुओं से भरी थीं। "क्या हुआ? स्वाति!", माँ ने उसे गले लगाते हुए पूछा। "माँ! हमारी अध्यापिका ने कल किसी भी एक विषय पर रचना लिखकर लाने को कहा है। मैंने स्कूल में तीन विषयों पर लिखने की कोशिश की, पर मैं लिख नहीं पाई।", माँ ने स्वाति की कॉपी देखी। स्वाति ने समय, ज्ञान और स्वतंत्रता पर लिखने की कोशिश को थी और उन्हें काट दिया था।
उसने लिखा था, "समय कम है। हमें अपने समय का सुधार करना चाहिए।" "ज्ञान हमारे लिए बहुत उपयोगी वस्तु है।"
"स्वतंत्रता का प्रयोग बुद्धिमानी से करना चाहिए।"
"माँ, अध्यापिका जी ने इन विषयों का सुझाव दिया था। वैसे उन्होंने कहा था कि हम अपनी पसंद के किसी भी विषय पर लिख सकते हैं।", स्वाति ने सुबकते हुए कहा।
माँ ने स्वाति को पुचकारते हुए कहा, "मेरी प्यारी बिटिया रानी! अब रोना बंद करो। तुमने उन विषयों पर लिखा, जिनके बारे में तुम्हें कुछ पता नहीं था। "
तुम खिड़की के पास बैठ जाओ और पेंसिल से कागज पर वह सब लिखो, जो कुछ भी तुम देख रही हो।"
स्वाति ने जो कुछ भी देखा वह सब कागज पर लिख डाला। अब स्वाति ने माँ के सामने पढ़ना शुरू किया।
"मैं खिड़की के पास बैठी हूँ। गरमी का सुहावना दिन है। मैं बगीचे के फूलों की खुशबू महसूस कर रही हूँ। आकाश सूरज अस्त होने के रंगों से चमक
रहा है। ये रंग हैं जामुनी, गुलाबी और सुनहरा। मुझे लगता है कि दुनिया के
किसी भी रंग के डिब्बे में इतने अच्छे रंग नहीं हो सकते। ऊपर बादलों में से
एक बादल ऐसा लग रहा है मानो नीले सागर में कोई जहाज तैर रहा है। मैं भी
इस जहाज में बैठना चाहूँगी, पर बस यह मुझे भिगो ना दें।
हरी पहाड़ियाँ ऐसी लग रही हैं, जैसे उन्होंने हरे मुकुट पहने हैं। कुछ दूरी पर एक नदी है, जोकि काफी शांत है। मैं जानती हूँ कि कभी-कभी यह बहुत तेज बहती है, जैसे सागर से मिले बिना अब वह रह नहीं सकती। पक्षी अपने घरों की ओर लौट रहे हैं। मैं खुश हूँ कि उन्होंने हमारे बगीचे में अपना घर बनाया है। हमारे बगीचे में बहुत से गुलाब और चमेली के फूल हैं। खिड़की से दिखाई देने वाला दृश्य बहुत खूबसूरत है।"
जैसे ही स्वाति ने पढ़ना बंद किया, माँ तालियाँ बजाने लगीं। स्वाति को स्वयं अपनी लिखी हुई पंक्तियाँ बहुत अच्छी लगीं। "क्या यह रचना है?", स्वाति ने आश्चर्य से पूछा।
"हाँ. तुमने 'प्रकृति की सुंदरता' के बारे में लिखा है। मुझे पूरा विश्वास है कि तुम्हीं ने सबसे अच्छी रचना लिखी है।" माँ ने मुसकराते हुए कहा। स्वाति का चेहरा खिल उठा। वह झट से माँ से लिपट गई।
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