अनुच्छेद लेखन - करत करत अभ्यास के जड़मति होत सुजान

 

करत करत अभ्यास के जड़मति होत सुजान (अनुच्छेद लेखन)

Karat Karat Abhyas Ke Jadmati Hot Sujan Paragraph In Hindi


उन्नति और सफलता का मूल मंत्र अभ्यास है। यह एक ऐसा सत्य है जिसे हम सभी ने अनुभव किया है। चाहे किसी खेल में हो, कला में या पढ़ाई में, निरंतर प्रयास ही हमें हमारे लक्ष्यों के निकट लाता है। 'करत करत अभ्यास के, जड़मति होत सुजान' का अर्थ है कि निरंतर अभ्यास करने से साधारण व्यक्ति भी प्रतिभाशाली बन सकता है।

सफलता के लिए एक बार का श्रम काफी नहीं होता। हमें निरंतर प्रयास करते रहना पड़ता है। जैसे एक किसान अपनी फसल के लिए बार-बार मेहनत करता है, वैसे ही हमें अपने लक्ष्यों की ओर बढ़ने के लिए लगातार मेहनत करनी होती है। इसके बिना हम कभी भी अपने सपनों को पूरा नहीं कर सकते।

अभ्यास के माध्यम से ही हम अपने कौशल को विकसित करते हैं। उदाहरण के लिए, एकलव्य ने निरंतर अभ्यास के बल पर धनुर्विद्या में महारत हासिल की। इसी तरह, कालिदास, वाल्मीकि, और तुलसीदास जैसे महाकवियों ने अपने लेखन में पारंगत होने के लिए अनगिनत बार प्रयास किया।

किसी भी क्षेत्र में विशेषज्ञता प्राप्त करने के लिए निरंतर अभ्यास आवश्यक है। यदि प्रतिभावान व्यक्ति भी अपने कौशल को बनाए रखने के लिए मेहनत नहीं करेगा, तो उसकी प्रतिभा अदृश्य हो जाएगी। अभ्यास न केवल हमें सफलता की ओर ले जाता है, बल्कि यह हमें आत्मविश्वास भी प्रदान करता है।

इस प्रकार, 'करत करत अभ्यास के' यह कहावत हमें प्रेरित करती है कि कठिनाइयों और विफलताओं के बावजूद हमें अभ्यास करते रहना चाहिए। क्योंकि, जीवन में किसी भी कार्य में सफलता पाने के लिए निरंतरता और समर्पण सबसे महत्वपूर्ण हैं। इसलिए, हमें अपने प्रयासों में निरंतरता बनाए रखनी चाहिए, ताकि हम अपने लक्ष्यों को हासिल कर सकें।

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Milan Tomic

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