'काश! मेरे भी पंख होते' पर अनुच्छेद
आसमान में उड़ते पक्षियों को देखकर मुझे बहुत खुशी मिलती है। सोचता हूॅं, काश! मेरे भी पंख होते। मैं पंख फैलाकर कहीं भी उड़कर चला जाता। चिड़ियों के साथ दूर गगन में उड़ता, हवाई जहाज को पास से देखता। हवा के साथ साथ बादलों के पार पहुॅंच जाता। चाँद तारों तक घूम आता। नदी, तालाब, झरने, पहाड़ों की सैर करता। नए-नए शहरों को देखता। सुदूर देशों की यात्रा कर आता। जब कभी दोस्तों के साथ पढ़ने या खेलने का मन करता, तुरंत उनके पास पहुॅंच जाता। इससे समय की भी बचत होती। किसी को मुसीबत में देखता तो उड़कर वहाँ पहुॅंच जाता और उसकी मदद करता।
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