मन के भाव

 मन के भाव                  
Man ke bhav

शीर्षक- और कविता तैयार


एक विचार जो मन में कौंधा
हर्षित हुआ हृदय का पौधा
कुछ तो था जो बीज से फूटा 
वीराने में कुछ बाहर निकला
इस विचार को लिखने में 
उंगलियों की पोरों में
जो हलचल मची थी
से संजोकर रखने में
मेहनत जो भी लगती है 
उसी मेहनत की है पूंजी
जो यह कविता दिखती है 
जो यह कविता दिखती है।।

स्वरचित- गोविन्द पाण्डेय

पिथौरागढ़, उत्तराखंड

                            

                                                                                                               



          



*****************

निम्नलिखित कविताएँ भी पढ़िए 

* बेटी बचाओ 

* स्वतंत्रता की खोज 

* हमारे बापू 

* 2 अक्टूबर : भारत के दो लाल 

* बेटी 

* संस्कृति और परम्पराओं का देश भारत 

* ज़िंदगी 

                                                                 ******************************


बेटे के इक्कीसवें जन्मदिन पर एक मां की शुभकामनाएं 💐🌷❤💕🌺💐💐

खुशियां मिले बेशुमार, 
जीवन में खुशहाली छाई रहे!!!
 बार बार यह दिन आए, 
जब तक सूरज चांद रहे!!!
चलते रहना उस पथ पर,
 जिस पथ पर सच्चाई रहे!!!
करना रोशन सदा जहां को,
 कर्तव्यनिष्ठता बनी रहे!!!
 अब तक पहचान थी मात-पिता से,
अब मात-पिता को पहचान तुमसे मिले!!!
है मां का यही आशीष तुम्हें, 
मेरे इस आशीष पर प्रभु का आशीष सदा बना रहे!!!
💕❤🌷💐🎂💐🎂💐🌺🌺
             
Man ke bhav                                    
 मधु ठेनुआं 
    दिल्ली 
क्विज खेलने के लिए क्लिक करें 👇


Also read 




SHARE

Milan Tomic

Hi. I’m Designer of Blog Magic. I’m CEO/Founder of ThemeXpose. I’m Creative Art Director, Web Designer, UI/UX Designer, Interaction Designer, Industrial Designer, Web Developer, Business Enthusiast, StartUp Enthusiast, Speaker, Writer and Photographer. Inspired to make things looks better.

  • Image
  • Image
  • Image
  • Image
  • Image
    Blogger Comment
    Facebook Comment

0 comments:

एक टिप्पणी भेजें