लोमड़ी और बकरी
एक बार एक लोमड़ी कुऍं में गिर गई। उसने बाहर निकलने की बहुत कोशिश की, लेकिन सफल न हो सकी। वह कुऍं से बाहर निकलने की तरकीब सोचने लगी। एक बकरी वहॉं से गुजर रही थी। उसे कुऍं से आवाजें आती सुनाई पड़ी। उसने कुऍं में झॉंका वहॉं लोमड़ी थी।
उसने लोमड़ी से पूछा, "अरे लोमड़ी बहन, तुम कुऍं में क्या कर रही हो?"
लोमड़ी अपनी घबराहट छिपाकर बोली, "बहन सूखा पड़ने वाला है। कहीं भी पीने को पानी नहीं मिलेगा। मुझे तो यह कुऑं मिल गया है। इसका पानी भी बहुत मीठा है।"
बकरी बोली, "अच्छा!"
लोमड़ी बोली, "हॉं, तुम भी चाहो तो इसमें आ जाओ। हम दोनों मिलकर खूब बातें करेंगे और मजे से रहेंगे।"
यह सुनकर बकरी बहुत खुश हुई और उसने कुऍं में छलांग लगा दी। जैसे कि बकरी कुऍं में पहुॅंची, लोहड़ी ने उछलकर अपना एक पॉंव बकरी की पीठ पर रखा और दूसरा उसके सींगों पर रख कर बाहर आ गई।
लोमड़ी ने कहा, "बकरी बहन, अब मज़े से इस कुऍं में रहना और मीठा पानी पीना।"
सीख - हमें दूसरों की बातों पर सोच समझकर विश्वास करना चाहिए।
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