मेट्रो की सवारी परअनुच्छेद
रविवार को मैं मॉं और पिताजी के साथ मामा जी के घर गई। वे रमेश नगर में रहते हैं। हम वहां मेट्रो से गए। कौशांबी मेट्रो स्टेशन पर पिताजी ने टिकट खरीदा। टिकट प्लास्टिक का एक गोल टोकन था। इसे दरवाज़े पर लगाते ही दरवाज़ा खुल गया। हम प्लेटफ़ार्म पर पहुॅंचे। चारों ओर साफ-सफाई थी। दो मिनट में गाड़ी आ गई। गाड़ी के रुकने पर उसके दरवाज़े अपने आप खुल गए। पहले उतरने वाले यात्री उतरे। फिर चढ़नेवाले यात्री चढ़े। सभी डिब्बे वातानुकूलित थे। मेट्रो कहीं जमीन के नीचे बनी सुरंगों से गुजरती और कहीं ऊंचाई पर बने पुल से। रमेश नगर आने पर हम सब मेट्रो से उतर गए। बाहर निकलते समय टोकन को मेट्रो स्टेशन के दरवाज़े पर बनी टोकन डालने की जगह में डाल दिया। दरवाज़ा खुल गया। हम सब मेट्रो स्टेशन से बाहर आ गए। मेट्रो में सवारी करने का यह मेरा पहला अवसर था।
GRAMMAR | POEM | 10 LINES | MOTIVATIONAL | GK |
मेरा जन्मदिन | ||||
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