Hindi unseen passage अपठित गद्यांश - 7
'अपठित' शब्द का अभिप्राय है - जो पहले पढ़ा ना गया हो। अपठित गद्यांश पाठ्य पुस्तकों से नहीं दिए जाते हैं। ये ऐसे गद्यांश होते हैं जिन्हें छात्रों ने कभी नहीं पढ़ा होता।
अपठित गद्यांश के उत्तर देने से पहले निम्न बातों का ध्यान रखना चाहिए।
* गद्यांश को कम से कम तीन-चार बार अवश्य पढ़ ले।
* प्रश्नों के उत्तर सरल भाषा में लिखें।
* उत्तर गद्यांश से ही होना चाहिए उसमें अपने विचार समाहित नहीं करनी चाहिए।
* उत्तर देने के बाद उन्हें अवश्य एक बार पढ़ लें।
निम्नलिखित अपठित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
मनुष्य का अपने कर्म पर अधिकार है। वह कर्म के अनुसार फल प्राप्त करता है। अच्छे कर्म करने से फल भी अच्छा मिलता है। बुरे कर्म का परिणाम बुरा होता है। कर्म करना बीज बोने के समान है। जैसा बीज होता है वैसे ही पेड़ और वैसे ही फल होते हैं। एक कहावत है - "बोया पेड़ बबूल का तो आम कहां से खाए?" इसलिए बड़े से बड़े अपराधी अंततः बुरी मौत मरते हैं।जो बेईमानी से धन कमाते हैं उनके बच्चे बेईमान और दुश्चरित्र बनते जाते हैं। उनकी बुराई का परिणाम उन्हें मिल ही जाता है। हमारा व्यक्तित्व हमारे कर्मों का ही प्रतिबिंब है। अगर हम आजीवन कुछ पाने के लिए भागदौड़ करते हैं तो इससे हमारा जीवन ही अशांत होता है। एक छात्र परिश्रम की राह पर चलता है तो उसे सफलता और संतुष्टि का फल प्राप्त होता है। दूसरा छात्र नकल और प्रवंचना का जीवन जीता है। उसे जीवन भर चोरों, ठगों और धोखे बाजो के बीच रहना पड़ता है। दुष्ट लोगों के बीच जीना भी तो एक दंड है, अशांति है।अतः मनुष्य को पुण्य कर्म करने चाहिए। इसी से मन में सच्चा सुख जागता है, सच्ची शांति मिलती है।
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