पाठ - 9 जो बोले वह खाए दो (अनुभूति पाठ्य पुस्तक)
प्रस्तुत पाठ में लेखक ने यह बताया है कि किसी पस्तु का लालच हमारी मृत्यु का कारण भी बन सकता है।
प्राचीन समय में एक गाँव में श्यामदेव और रूपदेव नाम के दो ब्राह्मण मित्र थे। एक दिन दोनों ने अपने प्रिय भक्त ज्ञानदीप के घर जाने का मन बनाया। ज्ञानदीप ने दोनों का आदर के साथ स्वागत किया।
उसके बाद ज्ञानदीप अपने काम पर चला गया। जाने से पहले उसने एक थाली में पाँच लड्डू रखकर उन्हें दे दिए।
दोनों ब्राह्मणों को समझ में न आया कि इन लड्डुओं का बंटवारा कैसे किया जाए? दोनों ने आपस में निश्चय किया कि हम दोनों में से जो पहले बोलेगा उसे दो लड्डू मिलेंगे और जो बाद में बोलेगा उसे तीन लड्डू प्राप्त होंगे।
अब दोनों ब्राह्मण गूंगे बनकर बैठ गए। बहुत देर तक बैठे-बैठे थक गए तो वे लंबे लेटकर सो गए। ज्ञानदीप जब लौटकर आया तो हैरान हो गया। उसने देखा, दोनों ब्राह्मणों में से कोई कुछ बोल नहीं रहा था और न ही कोई हिल-डुल रहा था। ज्ञानदीप के लगातार बोलने पर भी जब दोनों में से कोई भी कुछ न बोला तो उसने कुछ और लोगों को बुला लिया।
उन लोगों में से एक किसान बोला, "लगता है इन्हें किसी विषैले साँप ने काट लिया है।"
दूसरा व्यक्ति जोकि व्यापारी था, वह ज्ञानदीप से बोला, "मुझे तो लगता है कि ये दोनों मृत्यु को प्राप्त हो चुके हैं।"
ज्ञानदीप दुखी होते हुए बोला, "चलो भाइयो! तो फिर इनका अंतिम संस्कार कर देते हैं।"
यह सब सुनकर भी दोनों ब्राह्मण खामोश ही रहे। दोनों मन ही मन सोच रहे थे कि जो भी पहले बोलेगा उसे ही दो लड्डू खाने पड़ेंगे, इसलिए दोनों तब भी चुप्पी साधे लेटे रहे।
पाँच लोगों ने मिलकर उन्हें चारपाई पर रखा और श्मशान घाट की ओर चल दिए। फिर भी वे दोनों दम साधकर लेटे ही रहे। दोनों में से एक भी न बोला।
दोनों को श्मशान पहुँचकर चिता पर लिटा दिया गया। श्यामदेव ने मन ही मन सोचा मृत्यु आ ही गई है तो मर भी जाऊँगा, पर दो लड्डू हरगिज नहीं खाऊँगा। खाऊँगा तो पूरे तीन ही लड्डू। ज्ञानदीप जैसे ही चिता में आग लगाने के लिए आगे बढ़ा, रूपदेव झटपट डर के मारे उठकर बैठ गया और बोला, "भाई तीन तुम ही खा लेना। मैं दो खाकर ही खुश रह लूँगा।"
इतना कहते हो श्यामदेव और रूपदेव चिता पर से उठ बैठे। यह देखकर पाँचों लोग भूत-भूत चिल्लाते हुए भाग खड़े हुए।
उन्हें लगा कि दोनों ब्राह्मण उन पाँचों को ही खाने की बात कर रहे थे। उनके जाने के बाद श्यामदेव और रूपदेव दोनों भक्त के घर पहुँचे और लड्डू खाने लगे। श्यामदेव के तीन लड्डू और रूपदेव के दो लड्डू।
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