कक्षा - 5
विषय: हिंदी
पुस्तक का नाम: अनुभूति
पाठ संख्या: 10
पाठ का नाम - ऐसे थे शास्त्री जी
प्रस्तुत पाठ में प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री जी के बारे में जानकारी दी गई है। आइए पढ़कर जानें उनके बारे में-
विद्यालय में कक्षा समाप्त होने की घंटी बजी टन, टन, टन, टन, टन। अध्यापक ने कहा, "कल सभी छात्र अपनी अपनी कहानी की पुस्तक लाना मत भूलना। कल जो बच्चा पुस्तक नहीं लाएगा, उसे सजा मिलेगी।", और वे कक्षा से चले गए।
अध्यापक की बात सुनकर एक बालक बहुत उदास हो गया। उसे उदास देखकर उसके सहपाठी गोलू ने उससे पूछा, "क्या बात है? तुम इतने उदास क्यों हो?" वह बोला, "मेरे पास कहानी की पुस्तक नहीं है। न ही इतने पैसे हैं कि में पुस्तक खरीद सकूँ। अगर तुम आज के लिए मुझे अपनी पुस्तक दे दो तो मैं उसकी नकल उतारकर कल तुम्हें वापस दे दूँगा।"
गोलू बोला, "ठीक है, ले जाओ। पर कल जरूर ले आना।" बालक ने पुस्तक ले ली। घर पहुँचा तो मिट्टी का तेल खतम हो गया था। अब लालटेन कैसे जले। वह दौड़ता हुआ सड़क पर गया। सड़क के किनारे लगी बत्ती की रोशनी में पूरी रात बैठकर उसने पुस्तक को कॉपी पर उतार लिया।
अगले दिन अध्यापक ने सभी छात्रों को किताब निकालने को कहा। बालक के पास पुस्तक न देखकर अध्यापक का चेहरा क्रोध से तमतमा उठा। वे बोले, "मेरे कहने के बाद भी तुम पुस्तक नहीं लाए। चलो, कक्षा से बाहर चले जाओ।"
तभी गोलू बोल उठा, गुरु जी इसकी कॉपी देखो। इसने पूरी रात जागकर किताब की नकल इस कॉपी में कर ली है, क्योंकि इसके पास पुस्तक खरीदने के लिए पैसे नहीं थे। यह बात सुन अध्यापक ने उसकी कॉपी खोलकर देखी। अध्यापक आश्चर्यचकित रह गए। उनका गला भर आया। उन्होंने बालक को शाबाशी देते हुए कहा, "तुम अवश्य एक दिन बहुत बड़े आदमी बनोगे।"
जानते हो. यह बालक कौन था। यह बालक था लाल बहादुर शास्त्री, जो बड़ा होकर भारत का दूसरा प्रधानमंत्री बना।
शब्द-अर्थ
विद्यालय - पाठशाला
सजा - दंड
रोशनी - उजाला
क्रोध से - गुस्से से
जरूर - अवश्य
आश्चर्यचकित - हैरान
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