*शिक्षक: समाज का दीपक*
ज्ञान की ज्योत जला कर, अज्ञान का दूर करें अंधेरा, शिक्षक वो है जो बनाए, हर बच्चे को सुनहरा।
जगमगाते उनके विचारों से, जीवन का हो निखार,
धैर्य, त्याग, और समर्पण, उनका सबसे बड़ा उपहार।
कठिनाइयों में हिम्मत देना, सच्चाई का सिखाना पाठ,
वो हर कदम पर हमें सिखाते, कैसे होना चाहिए आगे का आघात।
बिना स्वार्थ के सिखाते, वे हर विषय का सार,
शिक्षक ही हैं जो हमारे जीवन में भरते प्यार।
कक्षा की चार दीवारें, जहां वो ज्ञान का दीप जलाते,
हर दिन नई आशा का, एक नया सवेरा लाते।
न केवल किताबों में छिपे, वो जीवन के पाठ सिखाते,
संस्कार, अनुशासन, और मेहनत की महत्ता बताते।
शब्दों से उनके, हर दिल को मिलती राह,
बनाते वो भविष्य, जिसकी नहीं होती कोई चाह।
गुरु-शिष्य के इस रिश्ते में, अद्भुत है ममता,
शिक्षक का महत्व, सबसे बड़ा है मंत्र।
सिखाते हैं वे कि कैसे, जीवन में होना चाहिए आदर्श,
हर चुनौती को पार करना, बनाकर दृढ़ संकल्प।
उनकी छत्रछाया में, हम बड़े होकर संवरते,
शिक्षक के स्नेह से, हम निखरते और निखरते।
तो आओ मिलकर करें, अपने शिक्षकों का सम्मान,
उनकी सेवा और समर्पण का, कभी न करें अपमान।
शिक्षक दिवस पर यही है, हम सबकी सच्ची प्रार्थना,
कि हर शिक्षक का जीवन हो, खुशियों से भरा और महान।
---
इस कविता में शिक्षक के महत्व और उनके योगदान को सराहा गया है। यह उनके धैर्य, समर्पण, और ज्ञान के प्रति उनके निःस्वार्थ भाव को व्यक्त करती है
0 comments:
एक टिप्पणी भेजें