शिक्षाप्रद कहानी - हाथी और दरजी
किसी राजा ने एक हाथी पाल रखा था। वह रोजाना तालाब पर नहाने जाता था।
रास्ते में दरजी की दुकान थी। जब हाथी दरजी को दुकान के सामने से गुजरता तो दरजी उसे प्यार से सहलाता और कुछ न कुछ खाने को अवश्य देता । दोनों में पक्की दोस्ती हो गई थी।
एक दिन दरजी दुकान पर नहीं था। उसका बेटा दुकान पर बैठा कपड़े सिल रहा था। रोजाना की तरह हाथी वहाँ आया और दुकान के सामने खड़ा हो गया। दरजी के बेटे को शरारत सूझी। उसने न तो हाथी को सहलाया और न कुछ खाने को दिया। उलटे उसकी सूँड़ में सूई चुभा दी। हाथी दर्द से चिल्लाया और तालाब की ओर चला गया। उसे दरजी के बेटे पर बहुत गुस्सा आ रहा था।
पहले वह तालाब में नहाया। फिर उसने बहुत सारा गंदा पानी अपनी सूँड़ में भरा और वापस चल दिया। दरजी की दुकान पर आकर उसने सारा गंदा पानी कपड़ों पर फेंक दिया। दुकान में रखे सभी कपड़े गंदे हो गए। दरजी के बेटे को अपनी शरारत पर बहुत पछतावा हुआ।
शिक्षा - जैसे को तैसा ।
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