पुस्तक – मल्हार
कक्षा – 8
विषय – हिंदी
पाठ – 2 : दो गौरैया
लेखक – भीष्म साहनी
✍️ परिचय:
"दो गौरैया" एक संवेदनशील और मार्मिक कहानी है, जो एक सामान्य परिवार और दो नन्हीं चिड़ियों के बीच के भावनात्मक संबंध को बहुत सुंदरता से प्रस्तुत करती है। प्रसिद्ध लेखक भीष्म साहनी ने इस पाठ में करुणा, सह-अस्तित्व और प्रकृति से प्रेम को बड़े ही सरल भाषा में दर्शाया है।
📖 सारांश:
कहानी एक ऐसे घर की है जिसमें तीन सदस्य रहते हैं – माँ, पिताजी और बेटा। पर इस घर में जीव-जंतुओं की भी भरमार है – चूहे, कबूतर, चमगादड़, चींटियाँ और... गौरैया। एक दिन दो गौरैया बैठक के पंखे में घोंसला बना लेती हैं। माँ को तो यह सामान्य लगता है, लेकिन पिताजी को यह बात बिल्कुल पसंद नहीं आती।
पिताजी उन्हें भगाने के लिए लाठी लेकर कई उपाय करते हैं – दरवाजे बंद करवाना, घोंसला तोड़ना, कपड़े ठूंसना। लेकिन गौरैया बार-बार लौट आती हैं।
एक दिन गौरैयों के बच्चों की चीं-चीं सुनाई देती है। पिताजी जब उन्हें घोंसला तोड़कर निकालने की कोशिश करते हैं, तो नन्हीं चिड़ियाँ ऊपर से झाँकती हैं और पिताजी का दिल पिघल जाता है। वे लाठी छोड़कर बैठ जाते हैं, और माँ दरवाज़ा खोल देती हैं। गौरैयों के माता-पिता बच्चों को दाना खिलाते हैं, और पूरा कमरा एक मधुर शोर से भर जाता है।
💡 मुख्य संदेश:
यह पाठ हमें यह सिखाता है कि इंसान को केवल अपने लिए नहीं, बल्कि अन्य जीवों के साथ भी सह-अस्तित्व की भावना रखनी चाहिए। करुणा, संवेदनशीलता और प्रकृति के साथ सामंजस्य – यही इस कहानी की आत्मा है।
मुख्य बिंदु:
- घर का वर्णन और उसमें रहने वाले जीव
- गौरैयों का प्रवेश और घोंसला बनाना
- पिताजी की प्रतिक्रियाएँ और असहिष्णुता
- बच्चों का जन्म और हृदय परिवर्तन
- सह-अस्तित्व का सुंदर संदेश
निष्कर्ष:
‘दो गौरैया’ पाठ केवल एक कहानी नहीं, बल्कि एक भावनात्मक अनुभव है जो हमें यह सिखाता है कि यदि हम चाहें, तो प्रकृति और मनुष्य साथ-साथ प्यार से रह सकते हैं। छोटे-छोटे जीव भी जीवन को बड़ा बना सकते हैं – बस हमें देखने का नजरिया बदलना होता है।
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