विषय : हिंदी
कक्षा : 8
पाठ्यपुस्तक : मल्हार (NCERT)
पाठ- 3 एक आशीर्वाद
परिचय (Introduction)
कक्षा 8 की हिंदी पाठ्यपुस्तक का तीसरा पाठ "एक आशीर्वाद" सुप्रसिद्ध कवि दुष्यंत कुमार द्वारा रचित एक भावनात्मक और प्रेरणात्मक कविता है। यह कविता एक बालक को दिया गया ऐसा आशीर्वाद है, जिसमें उसके उज्ज्वल भविष्य, आत्मनिर्भर जीवन और ऊँचे सपनों की कामना छिपी है।
पाठ का सारांश:
यह कविता एक सुंदर और प्रेरणादायक आशीर्वाद है, जिसमें कवि किसी प्रिय बच्चे को बड़े सपने देखने और उन्हें पूरा करने का साहसिक मार्ग दिखा रहा है। कवि चाहता है कि वह बच्चा सिर्फ सपने ही न देखे, बल्कि धरती पर आकर मेहनत से उन्हें साकार करना भी सीखे।
कवि उसे भावनाओं से आगे बढ़कर यथार्थ से जुड़ने, जीवन की कठिनाइयों में मुस्कराते हुए आगे बढ़ने और अपनी पहचान स्वयं बनाने की प्रेरणा देता है। वह कहता है कि जीवन में कभी रुकना, मचलना, हँसना, गाना – सब कुछ सीखो, लेकिन हमेशा अपने पैरों पर खड़े रहना और आत्मनिर्भर बनना।
अंत में कवि यही आशीर्वाद देता है –
"तेरे स्वप्न बड़े हों।"
मुख्य संदेश (Main Message)
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सपने देखना अच्छी बात है, पर उन्हें पूरा करने का हौसला भी जरूरी है।
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जीवन में चुनौतियों से घबराने के बजाय उनसे सीखना चाहिए।
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आत्मनिर्भरता और आत्मबल से ही व्यक्ति अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकता है।
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यह कविता एक प्रेरणादायक जीवन-दर्शन है।
महत्वपूर्ण पंक्तियाँ (Important Lines)
"जा, तेरे स्वप्न बड़े हों।"
यह कविता की सबसे प्रसिद्ध पंक्ति है जो बच्चे के भविष्य के लिए शुभकामना और प्रेरणा दोनों है।
निष्कर्ष (Conclusion)
"एक आशीर्वाद" कविता केवल एक प्रेरणादायक रचना नहीं, बल्कि जीवन को सकारात्मक दिशा देने वाला संदेश है। यह कविता हमें बताती है कि बड़े सपनों के साथ आत्मबल, आत्मविश्वास और मेहनत जरूरी है। यह आशीर्वाद हर बच्चे को जीवन में आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है।
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