कक्षा 8 हिंदी – पाठ 4: हरिद्वार (भारतेंदु हरिश्चंद्र) – सारांश, भाव, प्रश्न

 

विषय : हिंदी
कक्षा : 8
पाठ्यपुस्तक : मल्हार (NCERT)
पाठ- 4 हरिद्वार

✍️ लेखक परिचय: भारतेंदु हरिश्चंद्र (1850–1885)

भारतेंदु हरिश्चंद्र को आधुनिक हिंदी साहित्य का जनक कहा जाता है। उन्होंने नाटक, निबंध, यात्रा-वृत्तांत, कविता, पत्र लेखन और पत्रकारिता के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उनकी भाषा सरल, प्रवाहपूर्ण और भावपूर्ण होती है।
प्रमुख रचनाएँ: सत्य हरिश्चंद्र, भारत दुर्दशा, अंधेर नगरी, विविध यात्राएँ


📘 पाठ परिचय – हरिद्वार

यह पाठ एक यात्रा-वृत्तांत है जो लेखक द्वारा हरिद्वार की यात्रा के अनुभवों पर आधारित है। यह पत्र शैली में लिखा गया है, जिसमें उन्होंने हरिद्वार के सौंदर्य, पवित्रता, गंगा तट और आध्यात्मिक वातावरण का जीवंत वर्णन किया है।


📝 पाठ का सारांश

लेखक भारतेंदु हरिश्चंद्र हरिद्वार की यात्रा पर जाते हैं। वहाँ पहुँचते ही उन्हें गंगा के तट, पवित्र वातावरण और साधु-संतों की उपस्थिति से एक अनोखी शांति और आत्मिक आनंद की अनुभूति होती है।

वह बताते हैं कि हरिद्वार की भूमि पुण्यभूमि है। वहाँ के वृक्ष भी जैसे तपस्वी हों, जो हर मौसम को सहते हैं। पक्षियों का कलरव, शीतल गंगा जल, घाटों की रौनक, दुकानों की हलचल — सब कुछ मन को मोह लेता है।

लेखक गंगा को "नीली धारा", "भगीरथी" आदि नामों से बुलाते हैं और बताते हैं कि हरिद्वार एकमात्र ऐसा स्थान है जहाँ गंगा जी को ही मुख्य देवता के रूप में पूजा जाता है।

लेखक का अनुभव हमें यह सिखाता है कि प्रकृति, धर्म और आध्यात्मिकता का मिलन व्यक्ति के अंतर्मन को शुद्ध करता है।


🎯 मुख्य बिंदु:

  • हरिद्वार की प्राकृतिक सुंदरता का चित्रात्मक वर्णन

  • गंगा नदी की पवित्रता और भावनात्मक महत्त्व

  • आध्यात्मिकता, वैराग्य और आत्मिक शांति की अनुभूति

  • यात्रा-वृत्तांत की शैली में साहित्यिक प्रस्तुति

  • वृक्षों, घाटों, दुकानों, साधुओं आदि का भावनात्मक चित्रण


💬 प्रमुख पंक्तियाँ (भावार्थ सहित):

1. “मुझे हरिद्वार का समाचार लिखने में बड़ा आनंद होता है...”
👉 यह पंक्ति लेखक की आत्मीयता और गहराई को दर्शाती है।

2. “यह भूमि तपस्वियों, साधुओं, और सज्जनों की भूमि है...”
👉 हरिद्वार को लेखक पुण्य भूमि और तप की जगह मानते हैं।

3. “गंगा जी का जल शीतल है, जो आत्मा को भी ठंडक पहुँचाता है।”
👉 गंगा को केवल नदी नहीं, बल्कि एक जीवंत पुण्य आत्मा के रूप में चित्रित किया गया है।


📚 शिक्षण उद्देश्य:

  • विद्यार्थियों को यात्रा-वृत्तांत की शैली से परिचित कराना

  • आध्यात्मिक स्थलों के प्रति संवेदना जागृत करना

  • प्रकृति और संस्कृति से जुड़ने की प्रेरणा देना

  • लेखक की भाव-प्रवण भाषा को समझना


❓ अभ्यास के लिए प्रश्न:

1. लेखक को हरिद्वार जाते ही कैसा अनुभव हुआ?
उत्तर: प्रसन्नता और पवित्रता की अनुभूति हुई।

2. हरिद्वार में सबसे प्रमुख देवता कौन हैं?
उत्तर: गंगा जी।

3. गंगा के किन नामों का उल्लेख लेखक ने किया है?
उत्तर: भगीरथी, नीली धारा।

4. वृक्षों की तुलना किससे की गई है?
उत्तर: तपस्वियों और साधुओं से।

5. लेखक किस पत्रिका के संपादक को पत्र लिखते हैं?
उत्तर: कविचंद्र सुधा।


🪷 निष्कर्ष:

'हरिद्वार' केवल एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक और भावनात्मक अनुभव है। भारतेंदु हरिश्चंद्र का यह यात्रा-वृत्तांत पाठकों को न केवल साहित्य से जोड़ता है, बल्कि आत्मा की पवित्रता की ओर भी प्रेरित करता है।



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Milan Tomic

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