तीन मूर्ख
एक बार बादशाह अकबर ने बीरबल को आदेश दिया कि राज्य से तीन महामूर्ख ढूंढ कर लाओ। राजा की आज्ञा मानकर बीरबल चले गए। वे कुछ दूर ही गए थे कि एक घुड़सवार मिला। वह घोड़े पर बैठा चला आ रहा था। उसके सिर पर लकड़ियों का गट्ठर था। बीरबल ने पूछा, "अरे, यह गट्ठर सिर पर क्यों रखा है? घोड़े पर क्यों नहीं रखते?" वहआदमी बड़ी ही मासूमियत से बोला, "घोड़ा बहुत कमजोर है, दीवान जी। मेरा ही वजन यह नहीं संभाल पा रहा है। अगर गट्ठर का वजन भी इसी पर रख दूंगा, तो यह बेचारा मर ही जाएगा।" बीरबल नए घोड़े का लालच देकर उस मूर्ख को अपने साथ ले आए।
रात होने पर उन्होंने देखा कि एक आदमी दीवार पर लगी लालटेन की रोशनी में कुछ ढूंढ रहा है। बीरबल ने उस आदमी से पूछा, "क्या ढूंढ रहे हो?" वह बोला, "मेरा एक सिक्का खो गया है।" बीरबल ने पूछा, "सिक्का कहां खोया था?" "वहां उस वृक्ष के नीचे" आदमी ने इशारा करते हुए कहा। बीरबल ने आश्चर्य से पूछा, "तो वहां क्यों नहीं ढूंढते?" "अरे दीवान जी, वहां अंधेरा है इसलिए यहां लालटेन के उजाले में सिक्का ढूंढ रहा हूॅं।" आदमी सहज स्वर से बोला।
बीरबल समझ गए कि यह तो मूर्खों का भी मूर्ख है। वे उसे ज़्यादा सिक्के देने का लालच देकर अपने साथ ले आए। फिर बीरबल उन दोनों को लेकर उसी समय बादशाह अकबर के पास पहुंचे और उनके कारनामे बताएं। बादशाह बोले, ये तो सिर्फ दो ही हैं, लेकिन हमने तो तीन मूर्ख लाने को कहा था।"
"जहांपनाह! बाकी एक मूर्ख भी यही है।" बीरबल ने कहा। बादशाह चौक कर इधर-उधर देखने लगे, पर उन्हें कोई नहीं दिखा। वे बोले,"अरे बीरबल तीसरा मूर्ख कहां है?"
बीरबल ने छुककर कहा,"गुस्ताखी माफ हो जहांपनाह! तीसरा मूर्ख में हूॅं, जो ऐसा फालतू काम कर रहा हूॅं।"
बीरबल की बात सुनकर बादशाह अकबर खिलखिला कर हंस पड़े। फिर उन्होंने दोनों मूर्खों को इनाम देकर भेज दिया और बीरबल की हाजिरजवाबी देखकर उन्हें भी उपहार दिया ।
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