On the occasion of Labour day
"श्रमिकों को सलाम"
सीचते हैं श्रम से वतन की माटी को,
तभी तो गुल खिलते हैं गुलिस्ता में।
ना हो श्रमिक वर्ग तो,
थम जाए सब कुछ जहां में।
इन दिनों देखी है इनकी,
अनोखी तस्वीर हिंदुस्ता में।
हिफाजत करते रहे जिनकी,
जिल्लत भी उन्हीं से मिली।
फिर भी मांगी उन्हीं की जिंदगी दुआ में।
मधुबाला
हिंदी अध्यापिका
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