शिक्षाप्रद कहानी - धन की चिंता
एक शहर में एक गरीब मोची और अमीर सेठ आमने-सामने रहते थे। मोची की टूटी-फूटी झोपड़ी थी और सेठ का शानदार महल।
मोची जूते चप्पल बेचकर अपना गुजारा करता था। उसे रोज ही गुजारे लायक पैसे मिल जाते। उसे किसी प्रकार की कोई चिंता नहीं थी।
इसके विपरीत सेठ की आमदनी इतनी थी कि वह चाह कर भी पूरा पैसा खर्च नहीं कर पाता था। उसे तरह-तरह की चिंता सताती रहती। घर में अत्यधिक धन होने के कारण उसे रात भर उसकी सुरक्षा की चिंता रहती।
सेठ मोची को देखकर ईर्ष्या करने लगा। एक दिन सेठ ने मोची को ढेर सारा धन दिया और कहा कि इसे लौटाने की जरूरत नहीं है। मोची इतना सारा धन पाकर बहुत खुश हुआ। वह धन अपनी झोपड़ी में रख लेता है।
रात हुई तो उसे भी धन की सुरक्षा की चिंता सताने लगी। इस चिंता में उसे नींद नहीं आई। धन की चिंता में उसकी हालत खराब हो गई। सुबह उठते ही वह सारा धन लेकर सेठ के पास पहुंचा।
मोची बोला - 'सेठ जी, आपने जो धन मुझे दिया था उसने मुझे चिंता दे दी है। ऐसा धन जिससे चिंता मिले मेरे किसी काम का नहीं है। इसे आप अपने पास ही रखें।'
मोची धन वापस देकर लौट आया।
शिक्षा - हमें अपनी इच्छाओं को सीमित रखना चाहिए।
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