Class 6 Ch-5 Que/Ans

निकुंज हिंदी पाठमाला 6 

पाठ - 5 मैं बनी हनुमान (प्रश्नोत्तर )

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प्रश्न 1. प्रश्नों के उत्तर लिखिए -

(क) लेखिका ने ऐसा क्यों सोचा कि नाटक में लक्ष्मण बनने में कोई बुराई नहीं है ?
उत्तर - कक्षा की सबसे सुंदर लड़की राधिका को सीता का पार्ट मिलना था। राधिका से छोटी होने और अपनी तीखी और महीन आवाज़ के कारण लेखिका राम बनने की बात सोच भी नहीं सकती थी। इसलिए उसने सोचा कि लक्ष्मण बनने में कोई बुराई नहीं है। 

(ख) वार्षिकोत्सव के दिन ऐसा क्या हुआ कि लेखिका को हनुमान का पार्ट मिल गया ?
उत्तर - वार्षिकोत्सव के दिन जिस लड़की को हनुमान बनना था, वह खसरा निकल आने और तेज़ बुखार के कारण नाटक में भाग नहीं ले पाई। टीचर ने लेखिका को हनुमान का पार्ट दे दिया तो मानो उसकी इच्छा अनायास पूरी हो गई। 
(ग) अध्यापिका ने लेखिका का पार्ट काट-पीटकर छोटा क्यों कर दिया ?
उत्तर -  मंच पर जाकर लेखिका के हाथ-पैर ठंडे हो गए। वह अपने संवाद भूल गई और उसने बहुत सी गलतियाँ की।  इसलिए अध्यापिका ने लेखिका का पार्ट काटकर छोटा कर दिया। 

(घ) लेखिका ने हनुमान का चरित्र कैसे निभाया ?
उत्तर - हनुमान का चरित्र निभाते समय पहले तो लेखिका घबराहट के कारण अपने संवाद भूल गई।  फिर अपने संवादों के स्थान पर अध्यापिका द्वारा दिए गए निर्देशों को बोलना शुरु कर दिया। लेखिका इतनी भयभीत  थी कि रावण को अपनी ओर आता देखकर वह डर के मारे अपना मुखौटा उतारकर चीख पड़ी कि वह हनुमान नहीं है। 

(ङ) सारे हॉल में हँसी का ठहाका क्यों गूँज उठा ?
उत्तर -  जैसे ही लेखिका ने रावण को तलवार उठा कर अपनी ओर आता देखा, वह चीख पड़ी - मुझे मत मारो। मैं हनुमान नहीं हूँ। उसने अपना मुखौटा भी उतार फेंका। यह देखकर हॉल में हँसी का ठहाका गूँज उठा। 

(च) किसी भी दायित्व को हमें हल्के-फुल्के में क्यों नहीं लेना चाहिए ? 
उत्तर - किसी भी दायित्व के निर्वाह के लिए क्षमता और आत्मविश्वास का होना बहुत आवश्यक है। आत्मविश्वास अभ्यास से आता है और अभ्यास के लिए पर्याप्त समय चाहिए। दूसरों को कार्य करते देख कर उसे आसान समझ लेना हमारी बड़ी भूल होती है जो हमें असफल बनाती है और कभी-कभी हास्यास्पद भी, जैसा कि लेखिका के साथ हुआ।  इसलिए हमें किसी भी दायित्व को हल्के में नहीं लेना चाहिए। 

2. सही उत्तर के सामने सही का निशान और गलत कथनों के सामने गलत का निशान लगाइए 

(क) स्कूल के वार्षिकोत्सव में बड़ी लड़कियाँ 'मर्चेंट ऑफ वेनिस' और छोटी लड़कियाँ 'रामकथा' खेल रही थीं। 

(ख) लेखिका ने वानर का भेष बनाने के लिए लाल कुर्ता, लाल पायजामा और बंदर का मुखौटा पहन रखा था।  

(ग) मंच पर पहुँचने के बाद लेखिका पूरे होशो-हवाश में थी। ❎

(घ) "मैं अब और वियोग नहीं सकती।" यह कथन सीता ने हर्षित होकर कहा। 

(ङ) रावण की गरजदार आवाज़ ने लेखिका को पूरी तरह चौंका दिया। 

3. सही उत्तर पर सही का निशान लगाइए -

(क) लेखिका को किस बात का विश्वास था ?
मुझे सीता का पार्ट अवश्य मिलेगा 
मैं अच्छा अभिनय कर लूँगी  
मैं रावण का पार्ट बहुत अच्छी तरह निभा सकूँगी 
इनमें से कोई नहीं 

(ख) टीचर ने क्या कहकर लेखिका को हनुमान का पार्ट देने से मना कर दिया ? 
उसके लिए तुम्हारी आवाज़ ठीक नहीं है 
यह पार्ट किसी और को दिया जा चुका है 
तुम्हारा कद काफी छोटा है 
तुम बहुत दुबली-पतली हो 

(ग) "हे भगवान, तुमने अपनी पूँछ तो लगाई ही नहीं" अध्यापिका के इस कथन को किसने ज्यों-का-त्यों दोहरा दिया ?
सीता ने 
राम ने 
हनुमान बनी लेखिका ने 
रावण ने 

(घ) हनुमान का एक अन्य नाम है- 
पवन-पुत्र 
सूत-पुत्र 
नागार्जुन 
लंका-दूत 

(ङ) स्टेज पर आकर टीचर किसे वहाँ से घसीट कर बाहर ले गईं ? 
सीता को 
वानर को 
लेखिका को 
लक्ष्मण को

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Milan Tomic

Hi. I’m Designer of Blog Magic. I’m CEO/Founder of ThemeXpose. I’m Creative Art Director, Web Designer, UI/UX Designer, Interaction Designer, Industrial Designer, Web Developer, Business Enthusiast, StartUp Enthusiast, Speaker, Writer and Photographer. Inspired to make things looks better.

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