विषय : हिंदी
कक्षा : 8
पाठ्यपुस्तक : मल्हार (NCERT)
पाठ- 6 एक टोकरी भर मिट्टी
एक टोकरी भर मिट्टी — सारांश
यह कहानी माधवराव सप्रे द्वारा लिखित है, जो हिंदी की प्रारंभिक कहानियों में से एक मानी जाती है। यह एक संवेदनशील सामाजिक कहानी है जो गरीबी, अन्याय और पश्चाताप जैसे विषयों को छूती है।
कहानी में एक गरीब, अनाथ वृद्धा की झोंपड़ी एक जमींदार के महल के पास स्थित होती है। जमींदार अपने अहाते का विस्तार करना चाहता है, इसलिए वह बार-बार वृद्धा से झोंपड़ी हटाने के लिए कहता है। परंतु वृद्धा अपने बीते जीवन की स्मृतियों से जुड़ी होने के कारण झोंपड़ी छोड़ने को तैयार नहीं होती। जब उसकी एक न सुनी गई, तो जमींदार ने अदालत से कब्जा लेकर उसे वहाँ से निकाल दिया।
कुछ समय बाद वृद्धा एक टोकरी लेकर जमींदार के पास आती है और उससे अनुरोध करती है कि वह झोंपड़ी से केवल एक टोकरी मिट्टी ले जाना चाहती है, जिससे वह अपनी पोती के लिए उसी मिट्टी का चूल्हा बनाकर रोटी पका सके। उसकी पोती उसी झोंपड़ी से जुड़ी यादों के कारण खाना नहीं खा रही थी।
वृद्धा जब टोकरी भर मिट्टी लेकर बाहर आती है, तो वह जमींदार से उस टोकरी को सिर पर रखने में मदद माँगती है। जमींदार जैसे ही टोकरी उठाने की कोशिश करता है, वह उसे हिला भी नहीं पाता। वृद्धा विनम्रता से कहती है कि जब एक टोकरी मिट्टी का भार भी आपसे नहीं उठाया जा रहा, तो पूरी झोंपड़ी की मिट्टी का बोझ आप जीवनभर कैसे उठा पाएँगे?
यह सच और करुणा से भरे हुए शब्द सुनकर जमींदार को आत्मबोध होता है। वह पश्चाताप करता है, वृद्धा से क्षमा माँगता है और उसकी झोंपड़ी लौटा देता है।
0 comments:
एक टिप्पणी भेजें