विषय : हिंदी
कक्षा : 8
पाठ्यपुस्तक : मल्हार (NCERT)
पाठ- 5 कबीर के दोहे
NCERT Class 8 Malhaar ( Hindi Book ) 2025 edition
पाठ - 5 कबीर के दोहे
साँच बराबर तप नहीं, झूठ बराबर पाप।
जाके हिरदे साँच है, ता हिरदे गुरु आप।।
बड़ा हुआ तो क्या हुआ, जैसे पेड़ खजूर।
पंथी को छाया नहीं, फल लागै अति दूर।।
गुरु गोविंद दोऊ खड़े, काके लागौं पाँया
बलिहारी गुरु आपने, गोविंद दियो बताय।।
अति का भला न बोलना, अति का भला न चूप।
अति का भला न बरसना, अति की भली न धूप।।
ऐसी बानी बोलिए, मन का आपा खोय।
औरन को सीतल करै, आप सीतल होय ।।
निंदक नियरे राखिए आँगन कटी छवाया
बिन पानी साबुन बिना, निर्मल करै सुभाय ।।
साधू ऐसा चाहिए, जैसा सूप सुभाय।
सार सार को गहि रहै, थोथा देइ उड़ाया।।
कबिरा मन पंछी भया, भावै तहवाँ जाय।
जो जैसी संगति करै, सो तैसा फल पाय।।
कबीर
संदर्भ कबीर वचनावली, संपादक अयोध्या सिंह उपाध्याय हरिऔध'
कवि से परिचय
एक ऐसे संत जो करपे पर कपड़ा और मन में कविता बुनते-बुनते इतने प्रसिद्ध हो गए 1500 कि उनकी कविताएँ आज भी लोग भजनों की तरह सुनते हैं और पाठ्यपुस्तकों में पढ़ाते हैं। माना जाता है कि कबीर का जन्म चौदहवीं शताब्दी में काशी में हुआ था। उनकी रचनाएँ मुख्यतः कबीर ग्रंथावली में संगृहीत हैं। आज भी उनकी रचनाएँ हमें जीवन की सच्चाई को समझने और अच्छा मनुष्य बनने की प्रेरणा देती हैं।
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