कक्षा - 5
विषय: हिंदी
पुस्तक का नाम: मिठास
पाठ संख्या: 2
पाठ का नाम - धोबी का गधा
गोपाल धोबी के पास एक गधा था। वह अपने गधे से बहुत प्यार करता था। उसको बहुत अच्छी देखभाल करता था। उसके गधे का नाम चिन्ना था।
एक दिन जब गोपाल अपने घर वापस जा रहा था तब उसे एक घर के अंदर से तेज आवाज सुनाई दी, "अच्छा होगा सुधर जा, नहीं तो तुझे पता ही है, तेरे जैसे कई गधे मैंने आदमी बना दिए हैं।"
यह सुनकर गोपाल खुश हो गया। वह कल्पना करने लगा कि उसका चिन्ना आदमी बन गया है। वह भी उसके साथ मिलकर कपड़े भी रहा है। दोनों मिलकर बहुत पैसे कमा रहे हैं। गोपाल चिन्ना को आदमी बनाने का यह मौका हाथ से नहीं जाने देना चाहता था।
उसने आगे बढ़कर उस घर का दरवाजा खटखटाया। एक आदमी ने दरवाजा खोला। उसका नाम बाला था। गोपाल उसके पैर पकड़कर बोला, "मैंने अभी सुना, आपने कई गधों को आदमी बनाया है। आप बहुत बड़े आदूगर हैं। आप मेरे चिन्ना को भी आदमी बना दीजिए।"
पहले तो बाला हैरानी से गोपाल की ओर देखता रहा। फिर, उसने गधे करे आदमी बनाने के एक हजार रुपये माँगे। गोपाल ने तुरंत उसे रुपये दे दिए। साथ ही अपना चिन्ना भी उसके हवाले कर दिया। बाला ने उसे दस दिन बाद आने को कहा।
दस दिन तक बाला ने चिन्ना से जमकर काम लिया। जब ग्यारहवें दिन गोपाल उसके घर अपना गधा लेने पहुँचा, वह बोला, "तुम्हारा गधा तो बहुत विद्वान निकला। आदमी बनते ही उसने पास के गाँव में बच्चों को पढ़ाना भी शुरू कर दिया है।"
गोपाल ने हाथ जोड़कर उसका आभार प्रकट किया और उसके बताए स्थान पर अपने गधे को लेने पहुँचा। वहाँ पहुँचकर उसने देखा कि एक सुंदर युवक बच्चों को पढ़ा रहा था।
"वाह चिन्ना! क्या बात है!" चिन्ना को सुंदर युवक के रूप में देखकर गोपाल के मुँह से निकला।
फिर गोपाल ने उसे पुकारा, "चिन्ना, ओ चिन्ना!"
मुवक ने मुड़कर देखा और बोला, "कहिए, किससे मिलना है?"
"किससे क्या, तुमसे गधे। मैं तुम्हें लेने आया हूँ" गोपाल ने कहा।
"मुझे ! क्यों ?" वह हैरान होकर बोला।
"अरे! मिलकर कपड़े धोएँगे, गोपाल ने कहा।
बच्चे गोपाल की यह बात सुनकर खिलखिलाकर हँस पड़े।
"चलिए, यहाँ से जाइए," युवक बोला।
"क्या तुम मेरे साथ नहीं चलोगे?" गोपाल ने पूछा।
"मैं आपको नहीं पहचानता। आप यहाँ से चले जाइए," उसने कहा।
चिन्ना के व्यवहार से दुखी गोपाल की आँखों में आँसू आ गए। उसे बहुत गुस्सा आया। उसने मन में ठान लिया, 'मैं अब इस गधे को सबक सिखाकर रहूँगा।'
गोपाल फिर बाला के घर गया। "हाय! मैं लुट गया," कहकर वह जोर-जोर से रोने लगा। फिर उसे सारी बातें बताकर बोला, "कृपया मेरे गधे को गधा बना दीजिए।"
बाला ने फिर एक हजार रुपये ले लिए और गोपाल को अगले दिन आने को कहा।
गोपाल अगले दिन बाला के घर गया। बाला ने अपने घर में बँधा उसका गधा लाकर उसे दे दिया। गोपाल अपने गधे को पाकर बहुत खुश हुआ। उसपर प्यार से हाथ फेरते हुए बोला, "अगर कल मेरे साथ आ जाता तो कितना अच्छा होता। अब रह गधे का गथा।"
1. बोलकर उत्तर दो। (Answer orally.)
क. गोपाल कौन था? वह क्या काम करता था?
उत्तर - गोपाल एक धोबी था। वह कपड़े धोता था।
ख. गोपाल क्या सुनकर खुश हो गया?
उत्तर - गधे को आदमी बनाने की बात सुनकर गोपाल खुश हो गया।
ग. घर से आती आवाज सुनने के बाद गोपाल क्या कल्पना करने लगा ?
उत्तर - गोपाल कल्पना करने लगा कि उसका गधा चिन्ना आदमी बन गया है।
घ. बाला ने गधे को आदमी बनाने के लिए कितने रुपये माँगे ?
उत्तर - बाला ने गधे को आदमी बनाने के लिए एक हजार रुपये माँगे।
5. उत्तर लिखो। (Answer these.)
क. गोपाल चिन्ना को क्या बनाना चाहता था और क्यों ?
उत्तर - गोपाल चिन्ना को आदमी बनाना चाहता था जिससे वह गोपाल के काम में उसका हाथ बँटा सके।
ख. बाला ने दस दिन तक चिन्ना के साथ कैसा व्यवहार किया?
उत्तर - बाला ने दस दिन तक चिन्ना से जमकर काम लिया।
ग. दस दिन बाद जब गोपाल अपना गधा वापस लेने पहुंचा तब बाला ने क्या कहा?
उत्तर - बाला ने कहा कि उसका गधा तो बहुत विद्वान निकला। आदमी बनते ही गधे ने पास के गाँव में बच्चों को पढ़ाना भी शुरू कर दिया।
घ. बच्चे गोपाल की कौन-सी बात सुनकर खिलखिलाकर हँस पड़े?
उत्तर - बच्चे गोपाल की 'मिलकर कपड़े धोने की' बात सुनकर खिलखिलाकर हँस पड़े।
ङ. क्या बाला ने सच में चिन्ना को आदमी बनाया था? उसने क्या चालाकी की थी?
उत्तर - बाला ने चिन्ना को आदमी नहीं बनाया था। उसने चिन्ना को घर में बाँधकर किसी दूसरे युवक को चिन्ना बताने की चालाकी की थी।
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