हिंदी कविता
स्वतंत्रता दिवस 2020 |
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ललकार का पंद्रह अगस्त
धवल था मेरा भारत का अस्तित्व ,हिला दिया गुलामी के फेरे ने
जीवन न जाने कहा थम गया ,
झण्ड़े हिलाते आजादी के घेरे ने।
मन की विड़म्बना किससे कहूँ ,
दीप प्रज्वलित रहते थे उर में
गहराई थी मेरे लक्ष्य शिखर में,
भारत की माटी मेरे व्यक्तित्व में।
मुगलों ने भारत का गला दबोंचा ,
मेरी छाती फटती थी मन ही मन में
न जाने कितने वीर है आए ,
प्राणों को न्योछावर करते चले गए।
प्रताप ने मुगलों के छक्के छुड़ाए,
माटी की रक्षा कर प्राण गवाँए
अतिथि का मान ले फिरंगी झपके ,
टुकड़े - टुकड़े छलनी कर दिए।
बहु - बेटियों को नंगा करवाया ,
जब झांसी ने आजादी का बीड़ा उठाया
मशाले लेकर गाँव - ढाणी में ,
जीत - जश्न का डंका बजाया।
मर्दो में झांसी अकेली पड़ी थी ,
खड़ग लेकर जिदद् पर अड़ी थी
कहती थी झांसी मैं न दूंगी,
तेरी खाल का जूता पहनूंगी।
सन् सत्तावन का राज था तुम्हारा ,
अब निकलो भारत में है काल तुम्हारा।
सोने की चिड़िया को चोंट पहुँचाई ,
यहाँ आकर फिरंगी ने मुँह की खाई
जब बोस, गाँधी जी ने आवाज उठाई,
फिरंगियों की जान पर आफत आई।
सत्य, अहिंसा का पाठ पढ़ाया,
स्वराज्य, एकता का अर्थ बतलाया
मन में लगन है, बसन स्वदेश की,
हिन्दू-मुस्लिम लड़ाई है एक ही देश की।
वीर भगत,सुख गुरु फांसी पर झूले ,
इंकलाब-जिन्दाबाद के नारे क्यूं भूलें
समझौते पर वायदे करते चले गए,
फिर भी फिरंगी बाज नहीं आए।
धूर्त फिरंगी को गोली मारों ,
अभी के अभी भारत को छोड़ो
अब नहीं सहेंगे जुल्म तुम्हारें,
दो सोै वर्षो से थे यहाँ राज तुम्हारें।
हम करते विरोध दबाते रहे तुम,
लाते घूंसे खाकर जाओंगे तुम।
देखो हमने तिरंगा फहराया ,
जय हिन्द का जोंरो से नारा लगाया
हड़तालियों ने जूलूस है निकाला,
अब उठेगा अंग्रेज जनाजा तुम्हारा।
हम वतन के रखवाले है ,
इसकी शान न झुकने पाए
जाति - पाति के बंधन तोड़े,
मैंने मानव से मानव के रिश्ते जोड़े।
मेरा भारत न कभी गुलाम था,
भारत का बच्चा भी जानता था
पन्द्रह अगस्त आजादी का दिन था
वंदे मातरम का नारा गूँजा था।
रेखा कुमारी (सहायक प्रोफेसर)
हितकारी सहकारी महिला शिक्षा महाविद्यालय
आरामपुरा कोटा (राजस्थान) ईमेल - rk2847108@gmail.com
मोबाइल नंबर:- 6376625611, 9001452246
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