कक्षा - 4
विषय: हिंदी
पुस्तक का नाम: मिठास
पाठ संख्या: 9
पाठ का नाम - फूटा घड़ा
पाठ - 9 फूटा घड़ा
किसी गाँव में एक किसान रहता था। वह प्रतिदिन नदी से दो घड़ों में पानी भरकर लाया करता था। वह घड़ों को एक डंडे के दोनों ओर बाँधकर डंडे को कंधे पर रख लेता था। एक घड़ा फूटा हुआ था। किसान जब घड़ों में पानी भरकर चलता तब फूटे घड़े से थोड़ा-थोड़ा पानी रास्तेभर बहता रहता था। घर तक पहुँचते-पहुँचते उसमें आधा पानी ही रह जाता था।
फूटा घड़ा बहुत उदास रहता था। एक दिन जब किसान पानी भरकर ला रहा था तब रास्ते में दूसरे घड़े ने फूटे घड़े से उसकी उदासी का कारण पूछा।
क्या हुआ? तुम इतने उदास क्यों हो?
किसान की आधी मेहनत तो मेरे कारण बेकार चली जाती है। मैं आधा पानी ही घर तक पहुँचा पाता हूँ।
किसान घड़े की बातें सुन रहा था। अगले दिन जब वह पानी भरकर वापस आ रहा था तब उसने फूटे घड़े से कहा, "रास्ते को ध्यान से देखना।"
घर पहुँचकर किसान ने फूटे घड़े से पूछा, "तुमने रास्ते में क्या देखा?"
फूटे घड़े ने बताया, "पूरे रास्ते में सुंदर फूल खिले हुए थे, लेकिन वे एक ही ओर थे।"
किसान ने पूछा, "किस ओर?"
फूटे घड़े ने कहा, "मेरी ओर।"
किसान ने कहा, "जानते हो, ऐसा कैसे हुआ?"
फूटे घड़े ने कहा, "नहीं।"
किसान ने बताया, "तुममें से जो पानी बहता रहता था, मैं उस पानी को बेकार नहीं जाने देना चाहता था। इसलिए, मैंने तुम्हारी तरफ रास्ते पर रंग-बिरंगे फूलों के बीज बिखेर दिए थे। प्रतिदिन तुम्हारा बहता पानी उनपर गिरता रहा। जिससे बीजों में से पौधे निकल आए और उनपर रंग-बिरंगे फूल खिल गए। उन फूलों ने तुम्हारी ओर के पूरे रास्ते को खूबसूरत बना दिया।"
किसान की मेहनत बेकार नहीं गई थी, यह जानकर फूटा घड़ा खुश हो गया। फूटे घड़े को खुश देखकर किसान और दूसरा घड़ा दोनों खुश हो गए।
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