कक्षा - 4
विषय: हिंदी
पुस्तक का नाम: मिठास
पाठ संख्या: 6
पाठ का नाम - संगीत की दुनिया
पाठ - 6 संगीत की दुनिया
विवान अपनी माँ के साथ एक शास्त्रीय संगीत के कार्यक्रम में जाने के लिए तैयार हो रहा था।
"चलो, चलो." माँ ने कहा।
विवान की राधिका मौसी, माँ की प्रिय सहेली, कार्यक्रम में हिस्सा ले रही थीं।
विवान और माँ तैयार होकर कार्यक्रम देखने पहुँचे। हॉल के बाहर मौसी उनसे मिलने आईं।
उन्होंने कहा, "विवान, कार्यक्रम शुरू होने में अभी समय है, क्या तुम अंदर आना चाहोगे? मैं तुम्हें कुछ दिखाना चाहती हूँ।"
मौसी ने विवान का हाथ पकड़ा और विवान तथा माँ को हॉल के अंदर ले गईं। एक कमरे के बाहर तीनों रुके। विवान अंदर देखकर दंग रह गया।
अरे। ये क्या हैं?
ये वाट्य-यंत्र अर्थात बजानेवाले बाजे हैं।
विवान ने हैरान होकर पूछा, "इनसे क्या करते हैं?"
मौसी ने कहा, "इन वाद्य यंत्रों से संगीत बजाते हैं। आओ, तुम्हें इनके में बताती हूँ।"
तभी विवान जोर से बोला, "माँ देखो, कितना बड़ा डब्बा।"
माँ मुसकराई।
मौसी ने गाते हुए कहा, "डब्बा नहीं यह हारमोनियम है कहलाता, हारमोनियम का है संगीत निराला। हवा के प्रवाह से यह धुन बनाता ! सा, रे, ग, म, प, ध, नी, सा।
और इसे कहते हैं तबला, तबला हमेशा जोड़े में है आता, साथ अपनी गद्दी भी लाता। बड़ा बाजा बायीं तरफ, छोटा बाजा दायीं तरफ।
आओ अब देखें हम सितार, लंबी गरदन इसकी, कदू-सा आकार, मधुर-से बजे मिलकर ये कई तार, लोकप्रिय है देश-विदेश में हमारा सितार।
बाँस में फूँको तो सुर बन जाता,
बाँसुरी है कृष्ण का प्यारा बाजा।
उँगलियों से इसपर अपनी धुन बनाना,
जहाँ चाहो इसे साथ ले जाना।
इसका स्वर खोले यादों का पिटारा,
याद है कहाँ सुना था तुमने यह बाजा?"
विवान गाते हुए बोला, "मौसी के विवाह में बजी थी शहनाई, बधाई हो, बधाई हो, सबको बधाई।"
माँ और मौसी जोर से हँस पड़ीं।
मौसी ने कहा, "चलो, अब कार्यक्रम शुरू होनेवाला है।"
मंच पर सभी वाद्य यंत्र पहुँचा दिए गए। दर्शकों ने अपनी-अपनी जगह ली।
पूरा हॉल संगीत की धुनों से भर गया।
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