कक्षा - 5
विषय: हिंदी
पुस्तक का नाम: अनुभूति
पाठ संख्या: 16
पाठ का नाम - हम कुछ कर दिखलाएँगे
प्रस्तुत कविता में कवि सबको सुखी बनाने, उद्यमी की इच्छा व्यक्त कर रहा है।
है शौक यही अरमान यही,
हम कुछ कर दिखलाएँगे।
जो लोग गरीब भिखारी हैं,
जिनपर न किसी की छाया है।
हम उनको गले लगाएँगे,
हम उनको सुखी बनाएँगे।
जो लोग अँधेरे घर में हैं,
अपनी ही नहीं नज़र में हैं।
हम उनके कोने-कोने में,
उद्यम का दीप जलाएँगे।
जो लोग हारकर बैठे हैं.
उम्मीद मारकर बैठे हैं।
हम उनके बुझे दिमागों में,
फिर से उत्साह जगाएँगे।
हम उन वीरों के बच्चे हैं.
जो धुन के पक्के सच्चे थे।
हम उनका मान बढ़ाएँगे,
हम जग में नाम कमाएँगे।
रोको मत, आगे बढ़ने दो,
आजादी के दीवाने हैं।
हम मातृभूमि की सेवा में,
अपना सर्वस्व लुटाएँगे।
-रामनरेश त्रिपाठी
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