कक्षा - 3
विषय: हिंदी
पुस्तक का नाम: अनुभूति
पाठ संख्या: 13
पाठ का नाम - ताजमहल
बी-15. कमला नगर
मुरादाबाद (उ० प्र०)
15 जून, 20XX
प्रिय राघव,
सप्रेम नमस्ते। पता है, इस बार गरमियों की छुट्टियों में मैं अपने माता-पिता और छोटी बहन मिशिका के साथ ताजमहल देखने आगरा गया था।
जब हम वहाँ पहुँचे तो बहुत सुहावनी पूर्णमासी की शाम थी। हमने सोमनाथ नाम के एक गाइड के साथ पूरा ताजमहल देखा। चाँद की दूधिया रोशनी में नहाता सफेद संगमरमर से बना ताजमहल एक चित्र की तरह लग रहा था। मैं तो उसे अपलक निहारता ही रह गया। सोमनाथ ने बताया, "उस्ताद अहमद लाहौरी इसके प्रमुख वास्तुकार थे। इसे बनाने के लिए मारबल पत्थर राजस्थान के मकराना से मँगवाए गए थे। इसमें लगे रत्न संसार के विभिन्न हिस्सों जैसे अफगानिस्तान, श्रीलंका, तिब्बत व ईरान आदि से मँगवाए गए थे। यहाँ तक कि इसे बनाने वाले मतदूर भी विभिन्न देशों से आए थे।"
मुझे यह जानकर बहुत आश्चर्य हुआ कि इसे बनाने में 20 साल लगे थे। 22 हजार मजदूरों ने इसे बनाने का महत्वपूर्ण कार्य किया था। सोमनाथ ने बताया, "इसे मुगल बादशाह शाहजहाँ ने अपनी बेगम मुमताज महल की याद में बनवाया था।" मैं विश्व के सात अजूबों में से एक ताजमहल को देखकर मूर्ति की तरह खड़ा था। ताजमहल सुंदरता की अनूठी मिसाल है, जिसका वर्णन शब्दों में करना कठिन है। मेरा और मिशिका का तो वहाँ से लौटकर आने का मन ही नहीं था। तुम्हें भी जब छुट्टी मिले तो ताजमहल देखने अवश्य जाना। अब मैं पत्र समाप्त करता हूँ। चाचाजी व चाचीजी को नमस्ते कहना। अपने छोटे भाई रजत को ढेर सारा प्यार देना।
तुम्हारा मित्र,
पुनीत।
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