हिंदी कहानी - ईश्वर एक है

 शिक्षाप्रद कहानी - ईश्वर एक है

बहुत पुरानी बात है। महाराष्ट्र में एक संत हुए थे, नरहरि। वे शिव के परम भक्त थे। शिव पर उनकी इतनी अधिक आस्था थी कि वे किसी दूसरे देवता के स्वप्न में भी दर्शन नहीं करना चाहते थे। वे केवल भगवान शिव के मंदिर में ही जाते थे।

हिंदी कहानी - ईश्वर एक है

नरहरि सुनार का काम करते थे। एक दिन वे अपनी दुकान पर बैठकर आभूषण बना रहे थे। उसी समय एक सेठ उनके पास आया और बोला, "मुझे भगवान विठोबा की मूर्ति के लिए कमरबंद बनवाना है। आप मंदिर में चलकर श्री विठोबा की मूर्ति की कमर का नाप से लें।"

नरहरि ने सेठ से पूछा, "किस प्रयोजन से आप विठोबा के लिए कमरबंद बनवा रहे हैं?" सेठ ने

कहा, "मैंने मनौती मानी थी कि यदि मेरे पुत्र होगा तो मैं भगवान विठोबा के लिए कमरबंद बनवाऊँगा।

उनको कृपा से मेरे यहाँ पुत्र उत्पन्न हुआ है. इसलिए मैं आपके पास आया हूँ।"

नरहरि ने सेठ से कहा, "मैं तो केवल भगवान शिव के ही मंदिर में जाता है। मैं विठोबा के मंदिर में उनकी मूर्ति का नाप लेने के लिए नहीं जाऊँगा। आप किसी अन्य सुनार से कमरबंद बनवा लें।"

सेठ जी बोले, "आपके समान अच्छे आभूषण बनाने वाला कोई और सुनार नहीं है, इसलिए मैं किसी अन्य सुनार से कमरबंद नहीं बनवाऊँगा मैं आपको विठोबा जी की मूर्ति की कमर का नाप लाकर दे दूंगा। आप उसी नाप का कमरबंद बना देना।" सेठ जी की बात पर नरहरि जी सहमत हो गए। सेठ जी ने विठोबा जी की मूर्ति की कमर का नाप लाकर नरहरि को दे दिया। उन्होंने सेठ जी द्वारा लाए नाप के अनुसार कमरबंद तैयार कर दिया।

सेठ जी कमरबंद लेकर विठोबा जी के मंदिर में गए। सेठ जी ने जब विठोबा जी को कमरबंद पहनाकर देखा तो वह बड़ा निकला। नरहरि ने उसे पुनः बनाया; अब वह छोटा निकला। इस प्रकार से जी कई बार नाप लेकर आए। नरहरि ने बार-बार उनके लाए ताप के अनुसार ही कमरबंद बनाया, परंतु पहनाने पर वह कभी छोटा हो जाता तो कभी पड़ा।

हिंदी कहानी - ईश्वर एक है

अंत में पुजारी तथा अन्य लोगों की सलाह मानकर नरहरि आँखों पर पट्टी बाँधकर भगवान विठोबा के मंदिर में उनकी मूर्ति की कमर का नाप लेने स्वयं गए। नरहरि ने जब नाप लेने के लिए मूर्ति को स्पर्श किया तो उन्हें वह मूर्ति भगवान शिव की मालूम हुई। उन्होंने समझा कि उनके साथ मजाक किया गया है। यह सोचकर उन्होंने अपनी आँखों पर बँधी पट्टी हटा दी।

पट्टी हटाकर उन्होंने मूर्ति को देखा मूर्ति देखकर ये चकित रह गए। मूर्ति विठोबा देवता की थी। उन्हाने झट से दोबारा आँखा पर पट्टी बाँध ली और नाप लेने लगे। नाप लेते समय उन्हें फिर वह मूर्ति भगवान शिव की प्रतीत हुई। उनके हाथ में त्रिशूल भी था। उन्होंने मूर्ति के गले का स्पर्श करके देखा तो उन्हें सर्प का अनुभव हुआ। उन्होंने अपनी आँखों को पट्टी फिर से हटा दी और देखा तो सामने भगवान विठोबा की मूर्ति थी।

हिंदी कहानी - ईश्वर एक है

नरहरि को ऐसा लगा मानो विठोबा देवता की मूर्ति उन्हें प्रसन्न होकर देख रही है। उन्होंने फिर पट्टी बाँधने के लिए ज्योंही हाथ बढ़ाया, वह मूर्ति शिवजी को प्रतिमा बन गई. फिर वह मूर्ति विठोबा को दिखाई पड़ने लगी। उन्हें इस बात की प्रतीति हुई कि दोनों देवता एक ही हैं। उन्होंने मन-ही-मन सोचा. 'दोनों देवता एक ही हैं। मैं व्यर्थ ही भेद मानता रहा।'

नरहरि प्रसन्नता से चिल्ला उठे, "हे देवाधिदेव हे सकल विश्व के जीवनदाता में आपकी शरण में आया हूँ। आज आपने मेरे अज्ञान का अंधकार दूर कर दिया है। अब मैं आपकी भी पूजा-अर्चना किया करूंगा। आज मुझे पता चल गया है कि आप एक ही हैं। आपके रूप अनेक हैं।"


सीख - ईश्वर के सभी रूपों को समान भाव से देखना चाहिए ।

कहानियॉं      (CLICK HERE)                            CLASS 10 HINDI MCQ     (CLICK HERE) 

हिंदी व्याकरण क्विज़ (CLICK HERE)                 अनुच्छेद लेखन (CLICK HERE)






SHARE

Milan Tomic

Hi. I’m Designer of Blog Magic. I’m CEO/Founder of ThemeXpose. I’m Creative Art Director, Web Designer, UI/UX Designer, Interaction Designer, Industrial Designer, Web Developer, Business Enthusiast, StartUp Enthusiast, Speaker, Writer and Photographer. Inspired to make things looks better.

  • Image
  • Image
  • Image
  • Image
  • Image
    Blogger Comment
    Facebook Comment

0 comments:

एक टिप्पणी भेजें