नहीं होना बीमार — कक्षा 7 हिंदी (मल्हार) पाठ 5 का सरल सारांश | Hindi ki Asha
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आज हम कक्षा 7 की हिंदी पुस्तक मल्हार के पाठ 5 “नहीं होना बीमार” का आसान और छोटा सा सारांश (Summary) जानेंगे।
✨ पाठ का नाम: नहीं होना बीमार
📚 कक्षा: 7
📖 पुस्तक: मल्हार (हिंदी)
🧑🏫 विषय: पाठ का सार / Summary in Hindi
पाठ “नहीं होना बीमार” का सारांश
यह पाठ एक बच्चे के अनुभवों के माध्यम से यह संदेश देता है कि बीमारी का झूठा बहाना करना कभी-कभी खुद के लिए परेशानी का कारण बन सकता है।
कहानी की शुरुआत उस दिन से होती है जब लेखक अपनी नानी के साथ सुधाकर काका को अस्पताल में देखने जाता है। वहाँ का शांत, साफ-सुथरा माहौल, आरामदायक बिस्तर और स्वादिष्ट खीर देखकर उसके मन में यह इच्छा जागती है कि — “काश, मैं भी बीमार होता!”
कुछ दिनों बाद जब उसे स्कूल नहीं जाने का मन होता है और होमवर्क भी अधूरा रह जाता है, तो वह बीमार होने का नाटक करता है। वह सिरदर्द, पेटदर्द और बुखार का बहाना बनाता है।
शुरुआत में घर वाले उसकी बातों पर ध्यान देते हैं, लेकिन धीरे-धीरे उसे एहसास होता है कि बीमार होना उतना मज़ेदार नहीं है, जितना उसने सोचा था।
उसे कड़वी दवाइयाँ और काढ़ा पीना पड़ता है, खाना नहीं मिलता, और अकेलेपन व ऊब से उसका मन बेचैन हो उठता है।
वह अपने दोस्तों, स्कूल और गली की चहल-पहल को याद करने लगता है।
जब भूख के मारे उसकी हालत खराब हो जाती है और वह घर के बाकी लोगों को स्वादिष्ट खाना खाते देखता है, तो उसे अपनी गलती का अहसास होता है।
अंत में वह सीखता है कि बीमारी का झूठा बहाना बनाना मूर्खता है, और वह तय करता है कि अब कभी ऐसा नहीं करेगा।
🎯 इस कहानी से मिलने वाला संदेश
यह कहानी हास्य के माध्यम से एक गंभीर सच्चाई सिखाती है —
👉 ईमानदारी, जिम्मेदारी और अनुशासन का महत्व।
लेखक ने बाल मनोविज्ञान को बहुत ही सरल और रोचक ढंग से प्रस्तुत किया है।
💡 निष्कर्ष
“नहीं होना बीमार” पाठ हमें यह समझाता है कि झूठ से कभी सुख नहीं मिलता। सच्चाई और ईमानदारी ही जीवन का असली सुख है।
🎥 वीडियो देखें
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