मिठास पाठ्य पुस्तक कक्षा 5 पाठ- 7 सच्ची शिक्षा

कक्षा - 5 
विषय: हिंदी
पुस्तक का नाम: मिठास
पाठ संख्या: 7
पाठ का नाम -  सच्ची शिक्षा

पाठ- 7 सच्ची शिक्षा

महाभारत की कथा दो राजपरिवारों- कौरवों और पांडवों के बारे में है। महाभारत का युद्ध कौरवों और पांडवों के बीच लड़ा गया था। कौरव और पांडव चचेरे भाई थे। पांडव पाँच भाई थे, जिनमें युधिष्ठिर सबसे बड़े थे। कौरव सौ भाई थे, जिनमें दुर्योधन सबसे बड़े थे। सभी कौरव और पांडव राजकुमार गुरु द्रोणाचार्य के आश्रम में शिक्षा प्राप्त करते थे।

उन दिनों शिक्षा मौखिक रूप से ही दी जाती थी। गुरु अपने शिष्यों को बोलकर पढ़ाते थे। शिष्य गुरु के बोले हुए पाठ को याद कर लेते थे।

एक दिन गुरु द्रोणाचार्य ने एक पाठ पढ़ाया-

कभी क्रोध नहीं करना चाहिए। सदा सच बोलना चाहिए।

गुरुजी ने पाठ कई बार दोहराया ताकि सभी शिष्यों को याद हो जाए।

अगले दिन सभी राजकुमारों ने वह पाठ सुना दिया। केवल युधिष्ठिर को ही पाठ याद नहीं हुआ था। गुरुजी के साथ-साथ सभी शिष्य आश्चर्य से उनकी ओर देखने लगे। युधिष्ठिर ने सभी राजकुमारों को गुस्से से देखा और सिर झुकाकर खड़े रहे। गुरुजी ने युधिष्ठिर को पाठ याद करने के लिए कहा।

दूसरे दिन गुरुजी के पूछने पर युधिष्ठिर ने कहा, "क्षमा करें गुरुदेव! मुझे पाठ अभी भी याद नहीं हुआ है।"

गुरुजी के चेहरे पर क्रोध झलक रहा था। उन्होंने कड़क आवाज में कहा, "क्या तुम यह कहना चाहते हो कि तुम्हें एक पंक्ति का पाठ याद नहीं हुआ है?"

युधिष्ठिर सिर झुकाए खड़े रहे। गुरुजी ने फिर अगले दिन पाठ याद करके आने के लिए कहा।

तीसरे दिन गुरुजी के पूछने पर युधिष्ठिर ने फिर वहीं उत्तर दोहराया, "क्षमा करें गुरुदेव। मुझे अभी पाठ याद नहीं हुआ है।"

यह बात सुनकर कौरव राजकुमार हँस पड़े। युधिष्ठिर ने क्रोधपूर्ण आँखों से उन्हें देखा।

चौथे दिन भी वही उत्तर सुनकर गुरु द्रोणाचार्य ने युधिष्ठिर से कहा, "तुम सभी राजकुमारों में सबसे बड़े हो। सभी ने यह पाठ सुना दिया। केवल तुम्हें ही पाठ याद नहीं हुआ। आश्चर्य है। तुम्हें ऐसा करना शोभा नहीं देता है।"

युधिष्ठिर ने कोई उत्तर न दिया। वे चुपचाप खड़े रहे। कौरव राजकुमार धीमी आवाज में उनका उपहास करने लगे। युधिष्ठिर की आँखों में क्रोध साफ दिखाई दे रहा था।

इसी तरह कई दिन बीत गए। एक दिन गुरुजी का क्रोध इतना बढ़ गया कि उन्होंने एक डंडा लेकर युधिष्ठिर को मारना शुरू कर दिया। गुरुजी से मार खाते समय वे एकदम शांत थे।

गुरुजी को युधिष्ठिर की पिटाई करके बहुत दुख हो रहा था। उससे भी ज्यादा उन्हें इस बात की हैरानी हो रही थी कि युधिष्ठिर को छोटा-सा पाठ याद क्यो नहीं हो रहा था।

युधिष्ठिर की पिटाई करके जब गुरुजी अपने स्थान पर बैठ गए तब युधिष्ठिर उनके पास गए। वे हाथ जोड़कर बोले, "गुरुजी, मुझे पाठ याद हो गया-कभी क्रोध नहीं करना चाहिए। सदा सच बोलना चाहिए।"

गुरुजी युधिष्ठिर के मुँह से पाठ सुनकर खुश हुए। उन्होंने पूछा, "तुम्हें एक छोटा-सा पाठ याद करने में इतने दिन क्यों लग गए?"

युधिष्ठिर बहुत विनम्रता से बोले, "गुरुजी! आपने ही सिखाया था कि जो शिक्षा प्राप्त करो, उसे जीवन में उतार लो। मैं आपकी इस शिक्षा को अपने जीवन में उतारने का प्रयास कर रहा था। जब आपने पाठ याद न होने पर मुझपर क्रोध किया था और सब राजकुमार मुझपर हँसे थे तब मुझे क्रोध आया था। जब कौरव राजकुमारों ने मेरा उपहास किया था तब भी मुझे क्रोध आया था। मैं असत्य नहीं बोल सकता था क्योंकि आपने सदा सच बोलने की शिक्षा दी थी। इसलिए, जब-जब आप मुझसे पूछते थे, मैं यही उत्तर देता था कि मुझे पाठ याद नहीं हुआ। आज जब आपकी मार खाकर मुझे तनिक भी क्रोध नहीं आया तब मुझे लगा कि मैंने क्रोध पर विजय पा ली है। इस पाठ को जीवन में उतार लिया है। तभी मैं आपसे कह सका कि मुझे पाठ याद हो गया है।"

गुरुजी ने युधिष्ठिर को गले से लगा लिया और सभी राजकुमारों से बोले, "सच्चे अर्थ में याद करना इसी को कहते हैं। जो सीखो, उसे जीवन में उतार लो ताकि तुम्हारी सीखी विद्या जीवन के लिए भी उपयोगी हो।"


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Milan Tomic

Hi. I’m Designer of Blog Magic. I’m CEO/Founder of ThemeXpose. I’m Creative Art Director, Web Designer, UI/UX Designer, Interaction Designer, Industrial Designer, Web Developer, Business Enthusiast, StartUp Enthusiast, Speaker, Writer and Photographer. Inspired to make things looks better.

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