अनुभूति कक्षा 5 पाठ 1

पुस्तक का नाम - अनुभूति

 पाठ 1 पथ मेरा आलोकित कर दो

अभ्यास

शब्द-अर्थ

पथ-   रास्ता  

रश्मि - किरण उर -हृदय

पथिक - मुसाफ़िर 

नभ - आकाश

मनोकामना - मन की इच्छा

आलोकित - प्रकाशित

उर - हृदय

विहग - पक्षी

निर्दिष्ट-  निश्चित किया गया

नवल - नया

तम - अँधेरा

विश्व - संसार

पाठ को जानें.

1. सही उत्तर चुनकर ✔ लगाओ (MCQ)

(क) कवि नवल रश्मियों से क्या हरने को कह रहा है?

मन का दुख।        उर का तम ✔      दीन-हीनता

(ख) कवि कहाँ तक पहुँचना चाह रहा है?

विश्व के कोने-कोने तक।      

अपने घर तक 

निर्दिष्ट लक्ष्य तक ✔

(ग) कवि क्या वरदान चाहता है?

धरती को स्वर्ग बनाने का ✔

चंद्रमा पर पहुँचने का

स्वर्ग जाने का

2 निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दो-

मौखिक

(क) कवि किससे वरदान माँग रहा है?

उत्तर- कवि भगवान से वरदान माँग रहा है।

(ख) कवि ने स्वयं को क्या-क्या कहा है?

उत्तर- कवि ने स्वयं को नन्हा पथिक तथा नन्हा विहग कहा है।

(ग) इस कविता के कवि कौन हैं?

उत्तर- इस कविता के कवि द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी हैं।

लिखित 

(क) कवि क्या सीख रहा है?

उत्तर- कवि विश्व के पथ पर चलना और विश्व के नभ में उड़ना सीख रहा है।

(ख) कवि की मनोकामना क्या है? 

उत्तर- कवि ने जग से जितना पाया है और अभी जितना पाएँगे उससे कहीं अधिक जग को देने की उनकी मनोकामना है।

(ग) कवि क्या वरदान चाहता है?

उत्तर- कवि धरती को स्वर्ग बनाने का वरदान चाहता है।

(घ) हम देश व समाज के लिए किस प्रकार सहायक हो सकते हैं?

उत्तर- हम देश व समाज में अनेक सुधार कर सकते हैं। प्रत्येक अच्छे कार्य की शुरुआत हमें स्वयं आगे बढ़ कर करनी चाहिए। पर्यावरण सुधार, शिक्षा का प्रसार, सफाई आदि अनेक कार्य है जिसमें हम देश के विकास में सहायक बन सकते हैं।

3 सोच कर लिखो-

हम अपने मन के अंधकार को किस प्रकार दूर कर सकते हैं?

उत्तर- हम अपने मन में कार्य करने की भावना जागृत कर मन के अंधकार को दूर कर सकते हैं। हमें देश व समाज के उत्थान के लिए प्रयास करना चाहिए। खुशहाल समाज व देश में सभी लोग भी खुश रह सकेंगे।

4. निम्नलिखित पंक्तियों का अर्थ स्पष्ट करो-

(क) "मैं नन्हा सा पथिक विश्व के, 

पथ पर चलना सीख रहा हूँ। "

उत्तर-कवि स्वयं को नन्हा मुसाफिर बता रहा है जो संसार के रास्तों पर चलना सीख रहा है अर्थात हम अपने जीवन में सीखते हुए ही जीवन पथ में आगे बढ़ते हैं।


(ख) "पहुँच सकूँ निर्दिष्ट लक्ष्य तक, 

मुझको ऐसे पग दो, पर दो। "

उत्तर- जीवन में कवि निश्चित किए हुए अपने लक्ष्य तक पहुँचना चाहता है, इसके लिए वह भगवान से मजबूत पाँव व पंख की कामना कर रहा है।


5. कविता की पंक्तियां पूरी करो-

पाया जग से जितना अब तक,

और अभी जितना में पाऊँ।

मनोकामना है यह मेरी,

उससे कहीं अधिक दे जाऊँ।


























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Milan Tomic

Hi. I’m Designer of Blog Magic. I’m CEO/Founder of ThemeXpose. I’m Creative Art Director, Web Designer, UI/UX Designer, Interaction Designer, Industrial Designer, Web Developer, Business Enthusiast, StartUp Enthusiast, Speaker, Writer and Photographer. Inspired to make things looks better.

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